Book Title: Swatantravachanamrutam
Author(s): Kanaksen Acharya, Suvidhisagar Maharaj
Publisher: Bharatkumar Indarchand Papdiwal

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Page 77
________________ Pos--- -- -- -- -- - - !ि विधाबासाहित्य . कल्याणमन्दिर विधान आचार्य श्री कुमुदचन्द्र जी विरचित कल्याणमन्दिर स्तोत्र की। । जैनों के प्रमुख पाँच स्तोत्रों में स्थान दिया गया है। उसके आधार । पर इस विधान की रचना की गयी है। संस्कृत भाषा में इस ! विधान की रचना भधारक श्री देवेन्द्रकीर्ति जी ने की है। संस्कत । । विधान को आधार बनाकर परम पूज्य काव्यविधाता मुनि श्री । सुविधिसागर जी ने हिन्दी भाषा में विधान रचना की है। विधान के। साथ-साथ स्तोत्र का अर्थ, इतिहास, व्रत की विधि, व्रतजाप्य, । विधान का आकर्षक जकशा आदि का समावेश इस ग्रन्थ की विशेषता है। सहयोग राशि :- १७ रुपये 1. भक्तामर विधान आचार्य श्री मानतुंग जी की भक्तिपूर्ण रचना भक्तामर स्तोत्र । के आधार पर इस विधान की रचना भट्टारक श्री सोमसेन जी ने ! है की है। इस पुस्तक में परम पूज्य कविहृदय मुनि श्री सुविधिसागर २ जी महाराज की हिन्दी रचना भी संलग्न है। इस कृति में भक्तामर स्तोत्र की उत्पत्ति के विषय में प्रचलित ६ कयायें, स्तोत्र का अर्थ, व्रत की विधि, जाप्य, ऋद्धिमन्त्र, विधान का नक्शा आदि समस्त आवश्यक अंगों का समावेश है। सहयोग राशि :- २० रुपये १. रविव्रत विधान परम पूज्य लेखनी के जादूगार, मुनि श्री सुविधिसागर महाराज जी की यह सुमधुर रचना है । विधान की विधि, ग्रतकथा, व्रतजाप्य, मण्डलविधान का नक्शा आदि अंगों की पूर्णता से कृति अतिशय मनोहर बन्दी है । सहयोग राशि :- १३ रुपये

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