Book Title: Suyagadanga Suttam Part 01
Author(s): Punyavijay
Publisher: Prakrit Granth Parishad

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Page 596
________________ [सोलसमं गाहासोलसगज्झयणं] गाहज्झयणस्स चत्तारि अणुओगदारा, अधिकारो अप्पगथेण पिंडगवयणेणं-जं पण्णरससु वि य अज्झयणेसु भणितं [तं] सव्वं इधं सूइज्जइ । णामणिप्फण्णे एगपदं गाह त्ति ॥ णाम ठवणागाधा दव्वगाधा य भावगाधा य । पत्तय-पोत्थयलिहिता होति इमा दब्बगाधा तु॥१॥१३०॥ णामं ठवणा० गाथा । पत्तय० गाधद्धं । वतिरित्ता दव्यमाहा पत्तय-पोत्थयलिहिता । जधा वीर-वसभ-माराणं कमलदलाणं चतुण्ह णयणाणं । मुणिवइ ! मुणियविसेसा अच्छीसु तुमं रमइ लच्छी ॥१॥ अथवा इमा चेव गाथा यस्मिन्नेष [ पत्रे ] पुस्तके वा लिखिता ॥ १ ॥ १३० ।। १ पोत्थग-पत्तगलिहिता सा होई दवं खं २ पु२॥ Jain Education anal For Private & Personal Use Only rwainelibrary.org.

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