Book Title: Sursundari Chariyam
Author(s): Dhaneshwarmuni
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassaqarsuri Gyanmandir पिहुपयावो सीहो इव अकयपरबलासंको / उयहिव्व सुगंभीरो चंदो इव जणमणाणंदो // 77 // रूवेण कामदेवो बुद्धीए सुरगुरुस्स सारिच्छो / निवसइ पमोयपत्तो राया सिरिअमरकेउत्ति // 78 // पञ्चभिः कुलकम् // तस्स य तिवग्गसारं रजसिरिं सम्ममणुहवंतस्स / | वचंति वासराई इंदस्स व देवलोगम्मि // 79 // अह अन्नया कयाइवि अत्थाणगयस्स राइणो तस्स / विणयपणउत्तमंगो पडिहारो | बंधुलो भणई // 80 // देव ! कुसग्गपुराओ चित्तयरो चिसकम्मपत्तहो / नामेण चित्तसेणो समागतो चिट्ठइ दुवारे // 8 // सो देव| पायदंसणसुहकंखी इच्छए इह पवेसं / एवं च ठिए अम्हं देवाएसो पमाणति // 82 // तत्तो रण्णा भणिय लहुं पवेसेहि ताहे सो विहिणा।। अत्थाणम्मि पविट्ठो कयविणओ राइणो पुरओ // 83 // उवविट्ठो भूमीए रन्ना भणिओ कुओऽसि तं भद्द! 1 / केण व कजेण इहं समागओ मह समीवम्मि? // 84 // तो भणइ चित्तसेणो कुसग्गनयराउ आगओ देव ! / चित्तगरो साइसयं जाणामि य चित्तकम्ममहं // 85 // चित्तप्पिओ य देवो सुम्मइ वत्तासु तेण अहमेत्थ / चित्तकलं पैयडेउं समागओ देवपासम्मि // 86 // तचो रन्ना भणियं केरिसयं चित्तकोसलं तुझ ? / दंसेहि ताव मज्झं आलिहियं किंचि वररूवं // 87 // अह तेण कक्खदेसम्मि गोविया चित्तपडिया | सहसा / पयडीकाउं रण्णो समप्पिया हिट्ठवयणेण // 88 // पसरंतपयडपुलओ राया पेलोएइ तत्थ आलिहियं / नाणावनयकलियं पमाणरेहाहिं सुविसुद्धं // 89 // अहिणवजोव्वणवररूवजुत्तमच्चतमणहरागारं / अहिणवसिहिणारंभ कण्णाए रूवयं पवरं // 10 // दटुं नरनाहो चिंतइ एसो हु चित्तकम्मम्मि / अइकुसलो जं लिहियं अँउव्वरूवं इम रूवं // 91 // तिलोकम्मिवि मन्ने एरिसरूवा ने इत्थिया अत्थि / चित्तकलानिउणत्ता अदिहरूवा इमा लिहिया // 12 // जइ पुण कत्थवि होजा एरिसरूवेण इत्थिया कन्ना / तीए | 1 आस्थान=सभा / 2 पत्तट्ठोबहुशिक्षितः / 3 श्रूयते / 4 प्रकटयितुम् / 5 पश्यति / 6 सिहिणो स्तनः / 7 अपूर्वरूपम् / For Private and Personal Use Only

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