Book Title: Surajprakas Part 02 Author(s): Sitaram Lalas Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur View full book textPage 5
________________ सञ्चालकीय वक्तव्य कविया करणीदानजी कृत सूरजप्रकासके प्रथम भागका प्रकाशन राजस्थान पुरातन ग्रन्थमालामें गत वर्ष हो चुका है। अब इस ग्रन्थका द्वितीय भाग भी उक्त ग्रन्थमालाके ग्रन्थाङ्क ५७के रूपमें उत्सुक पाठकोंको प्रस्तुत किया जा रहा है। __इस भागमें जोधपुरके महाराजा गजसिंह, जसवन्तसिंह, अजीतसिंह और अभयसिंहके शासनकालका वर्णन है, जिससे अनेक नवीन ऐतिहासिक तथ्योंका सङ्केत मिलता है। इसी भागमें महाराजा अभयसिंह और सरबुलंदखाँके बीच हुए अहमदाबाद-युद्ध के कारण भी बताए गए हैं। चारणकुलोत्पन्न महाकवि करणीदानजी कविया महाराजा अभयसिंहके प्रमुख दरबारी कवि थे, अतएव प्रस्तत ग्रन्थमें वर्णित तथ्य अधिकांशमें विश्वसनीय कहे जा सकते हैं। करणीदानजी अपने युगके विशेष प्रतिभासम्पन्न , अनुभवी और विद्वान् कवि थे, जिनका परिचय पाठकोंको प्रस्तुत काव्यसे स्वतः ही प्राप्त हो जायगा। सूरजप्रकासका सम्पादन, वृहत् राजस्थानी शब्द-कोशके कर्ता व राजस्थानके विशिष्ट विद्वान् श्री सीतारामजी लाळसने निर्दिष्ट प्रणालीके अनुसार परिश्रमपूर्वक किया है, तदर्थ वे धन्यवादके पात्र हैं । महाराजा अभयसिंह और सरबुलंदखाँके बीच हुए अहमदाबादयुद्ध का प्रोजस्वी वर्णन और ग्रन्थ-सम्बन्धी विशेष ज्ञातव्य अादि विस्तृत रूपमें यथाशक्य शीघ्र ही ग्रन्थके तृतीय भागमें प्रकाशित किये जावेंगे । राजस्थानी भाषाके प्रस्तुत ग्रन्थका प्रकाशन भारत सरकारके वैज्ञानिक और सांस्कृतिक मन्त्रालयके आर्थिक सहयोगसे आधुनिक भारतीय भाषा-विकास-योजनाके अन्तर्गत किया जा रहा है, तदर्थ हम भारत सरकारके प्रति आभारी हैं। मुनि जिनविजय ता० १४-३-६२ सम्मान्य सञ्चालक सर्वोदय साधना प्राधम, राजस्थान प्राच्य-विद्या-प्रतिष्ठान चन्देरिया चित्तौड़, मेवाड़ जोधपुर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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