Book Title: Suktimuktavali
Author(s): Somprabhacharya, Ajitsagarsuri
Publisher: Shanti Vir Digambar Jain Sansthan

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Page 146
________________ नमस्या देवाना निम्नं गच्छति निम्नगेव निःशेषधर्मवन दाह नीचस्यापि चिरं नौरागे सरूणी परज नमनः पीडा पापं लुम्पत्ति दुर्गविं पात्रे धर्म निबन्धनं पिता माता भ्राता पीयूष विषवज्ज प्रत्यर्थी प्रशमस्य प्रतिष्यं यन्निशं प्रसरति यथा कीर्ति [फ फलति कळितश्रेयः [भ] मवारण्यं मुक्त्वा यदि भक्ति तीर्थ करे गुरौ भोगान कृष्णभुजङ्ग [म मानुष्यं विफलं वदन्ति मायामविश्वास मुग्धप्रतारख पर। मुष्णाति यः कृत

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