Book Title: Sukhi Hone ka Upay Part 4
Author(s): Nemichand Patni
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 189
________________ क्रमांक पृष्ठ १. २. २१ ३. २१ mix ; us ४. ५. ६. ७. ८. ९. १०. ११. । १२. १३. १४. १५. १६. २७ २७ ३० ३४ ३८ ३९ ३९ ४३ ४५ ४६ १७. ४८ १८. ५१ १९. ६२ २०. ६३ २१. ६९ २२. ७६ २३. ७२ सन्दर्भ ग्रन्थ-सूची Jain Education International ग्रन्थ का नाम २२ २३ २५, २६ प्रवचनसार समयसार पद्मनन्दिपंचविंशतिका तत्प्रतिप्रीतिचिंतेन मोक्षमार्ग प्रकाशक श्रीमद् राजचन्द्र परमात्मप्रकाश सुखी होने का उपाय समयसार समयसार सर्वार्थसिद्धि तत्त्वार्थ सूत्र सुखी होने का उपाय तत्त्वार्थ सूत्र सुखी होने का उपाय प्रवचनसार सुखी होने का उपाय विषय गाथा १४४ की टीका समयसार कलश समयसार पृष्ठ २५७ कषाय की उपशांतता गाथा नं. ८-९-१० प्रार्थना द्रव्यश्रुत के अध्ययन की प्रेरणा गाथा ८६-९०-९२-२३७ गाथा २३२ से २३८-२४०-२६८ भाग २ पृष्ठ २२ से ४२ गाथा ६९-७० गाथा ४९ एवं कलश ४२ प्रथम अध्याय सूत्र २ सूत्र १-२-३ अध्याय १ भाग २ पृष्ठ ६८ से ८६ सूत्र - ६, अध्याय- १ भाग- २ पृष्ठ ९६ से एवं भाग - ३ पृष्ठ ४८ से ६२ एवं ८८ से १०५ गाथा - ८० भाग-३ पृष्ठ १७ से ४५ एवं १०८ से १३३ कलश १३०-१३१ गाथा-४९ समयसार गाथा ३८-३१ प्रवचनसार ( जयसेन) गाथा - २४२-३२ समयसार गाथा २०६ तथा गाथा १४४ की टीका समयसार कलश २३ पद्मनन्दि पंचविंशतिका श्लोक १९ परमार्थ विंशति अधिकार For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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