Book Title: Subodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Author(s): Vinayvijay
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 12
________________ कल्प० ॥ १ ॥ Jain Education १ श्रावेलक्य. ( आचेलक . ) जेने चेल एटले वस्त्र न होय ते अचेलक कहेवाय, ते अचेलकनो जाव ते याचेलक्य अर्थात् वस्त्ररहितपणुं. ते तीर्थकरोने श्राश्रीने रहेलुं बे. तेमां पहला श्रने बेल्ला तीर्थकरोने शकेंद्रे लावी आपेला || देवरूष्य वस्त्रनो अपगम थवाथी तेर्जने सर्वदा अचेलकत्व एटले वस्त्ररहितपणुं बे ने वीजा तीर्थकरोने तो सर्वदा सचेलकत्व एटले वस्त्रसहितपणुं बे. या विषे किरणावली टीकाकारे जे चोवीश तीर्थ| करोने पण शक्रेंड आपेला देवडूष्य वस्त्रना छापगम थवाथी अचेलकपणुं कर्तुं बे, ते शक नरेलुं बे. साधु ने श्रीने एटले अजितनाथ विगेरे बावीश तीर्थंकरोनां तीर्थना साधु के जेर्ज सरल ने प्राज्ञ कहेवाय बे, तेउने घणा मूल्य वालां विविध रंगी वस्त्रोना उपजोगनी श्राज्ञा होवाथी सचेलकपणुं बे ने वली केटलाएक श्वेतरंगी परिमाणवालां वस्त्रने धारण करनार होवाथी तेमने अचेलकपपुंज बे. या प्रमाणे तेने या कल्प अनियतपणे रहेलो बे. जे श्रीकृषन छाने वीर प्रजुनां तीर्थना यतिनं बे, ते सर्वे श्वेताने परिमाणवालां जीर्ण वस्त्रने धरनारा होवाथी तेमने अचेल कपपुंज बे. यहीं शंका | थाय डे के वस्त्रनो उपजोग छतां तेमने अचेलकपणुं केम कहेवाय ? तेनो प्रत्युत्तर थापे बे. जे जीर्ण वस्त्र होय ते तुछ होवाथी तेवुं वस्त्र बतां पण वस्त्ररहितपणुं कदेवाय बे, ते सर्व लोकोमां प्रसिद्ध बे. जेमके पोतीयां पहेरी नदीने उतरता लोको कहे वे के 'अमो नग्न थइने नदी उतरी गया' तेमज वस्त्र बतां पण लोको मेराइ अने धोवी विगेरेने कहे बे के 'मोने सत्वर वस्त्र आपो, अमे नागा रहीए। बीए' श्रावी रीते साधुउने वस्त्रो बतां पण अचेलकपणुं जाणी लेवुं. इति प्रथम कल्प. २ौदेशिक कल्प. सिएटले दे शिक कल्प अर्थात् श्राधाकर्मिक साधु निमित्ते अशन, पान, खादिम, खादिम, वस्त्र, पात्र अने उपाय विगेरे जे करेलुं होय, ते पहेला अने बेल्ला तीर्थंकरनां तीर्थमां एक साधुने, एक साधुना समुदायने, अथवा एक उपाश्रयने याश्रीने करेलुं होय ते सर्वे साधु विगेरेने कल्पतुं नथी। For Private & Personal Use Only सुबो० ॥ १॥ www.jainelibrary.org

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