Book Title: Streemukti Anyatairthikmukti evam Savastramukti ka Prashna
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Z_Sagar_Jain_Vidya_Bharti_Part_3_001686.pdf
View full book text ________________ 132 स्त्रीमुक्ति, अन्यतैर्थिकमुक्ति एवं सवस्त्रमुक्ति का प्रश्न तित्थसिद्धा तित्थकरी तित्थे तित्थसिद्धा तित्थकरी तित्थे तित्थसिद्धाओ। तत्त्वार्थाधिगमसूत्र - स्वोपज्ञभाष्येण श्री सिद्धसेनगणिकृत टीकायां च समलंकृतम्, द्वितीयो विभाग, 10/7, पृ० 308. 20. प्रणिपत्य मुक्तिमुक्ति प्रमदमलं धर्ममहतो दिशतः / वक्ष्ये स्त्रीनिर्वाणं केवलिभुक्ति च संक्षेपात् / / शाकटायन व्याकरण, 'स्त्रीमुक्तिप्रकरण', श्लोक 1, भारतीय ज्ञानपीठ सम्पादक हीरालाल जैन, ए० एन० उपाध्ये, 1971, पृ० 121. 21. दसचेव नपुंसेसु वीसं इत्थियासु य / पुरिसेसु य अट्ठसयं समएणेगेण सिज्झई / / उत्तराध्ययन 36/5 22. इत्थीपुरिससिद्धा य तहेव य नपुंसगा। सलिंगे अनलिंगे य गिहिलिंगे तहेव य / / उत्तराध्ययन, 36/49. 23. सूत्रकृतांग, 1/3/4/1-1. 24. देवनारदेण अरहता इसिणा बुइयं। इसिभासियाई, 1/1. सम्पादक महोपाध्याय विनयसागर, प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर. 25. सयंबरो वा आसंबरो वा बुद्धो वा तहेव अन्नो वा / समभावभाविएप्पा लहइमोक्खं ण संदेहो / / सम्बोधसत्तरी, 2. 26. लिंगे पुनरन्यो विकल्प उच्यते -द्रव्यलिंग भावलिंग अलिंगमिति। प्रत्युत्पन्न भावप्रज्ञापनीय प्राप्तसिद्ध्यति। तत्त्वार्थभाष्य, 10/7. 27. लिंगेन केन सिद्धि ? अवेदत्वेन त्रिभ्यो वा वेदभ्यः सिद्धिभवितो न द्रव्यत: पुल्लिगेनेवी अथवा निम्रन्थलिंगेन। सग्रंथलिंगेन वा सिद्धिर्भूतपूर्व नयापेक्षया। पूज्यपाद, सर्वार्थसिद्धि, संपादक फूलचन्द्र सिद्धान्तशास्त्री, भारतीय ज्ञानपीठ, काशी, 1978, पृ० 472. 28. सूत्रप्राभृत, 23. 29. साक्षत्रिग्रंथालिंगेन पारम्पत्तितोन्यतः साक्षात्सग्रंथलिंगेन सिद्धौ निम्रन्थता वृथा। तत्त्वार्थश्लोकवार्तिक, 10/9. 30. बृहत्कथाकोश, 57/562. 31. अन्त्यदेहः प्रकृत्यैव नि:कषापोएप्यसौक्षितौ। हरिवंशपुराण, 42/22. 32. वही, 65/24. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
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