Book Title: Stotra Sarita
Author(s): Mitaben J Vyas
Publisher: ZZ_Anusandhan

View full book text
Previous | Next

Page 1
________________ १०२ अनुसन्धान - ५३ श्रीहेमचन्द्राचार्यविशेषांक भाग - १ आचार्य हेमचन्द्रसूरि रचित स्तोत्र - सरिता डॉ. मीताबेन जे. व्यास भारतीय साहित्यमां ऊर्मिकाव्यनी समृद्ध परम्परा प्राप्त थाय छे. ऊर्मिकाव्य लघु छतां आत्मसंवेदनापूर्ण, संगीतमय, ऊर्मि आवेगथी सभर होय छे. जेमां मानवभावनो स्वयम्भू आविष्कार आत्मनिवेदन शैलीमां जोवा मळे छे. वैदिक साहित्यमां अक-ओकथी सुन्दर स्तोत्र मळे छे. यजुर्वेदनी रुद्राध्याय स्तुति तेना दृष्टान्त स्वरूपे छे. जे भावस्पन्दनथी भरपूर, सहज, सरल शैलीमां अभिव्यक्त थयुं छे. स्तु धातु संस्कृत व्याकरणमां आवे छे जेनो अर्थ थाय छे स्तुति करवी, प्रार्थना करवी. आ 'स्तु' धातुने जुदाजुदा प्रत्ययो लागी स्तोत्र, स्तुति, स्तवन आदि शब्दो बने छे. स्तोत्र काव्यना मुख्य विभागमां (१) शैव स्तोत्र (२) शाक्त स्तोत्र (३) वैष्णव स्तोत्र (४) अन्य देवी-देवता स्तोत्र (५) जैन स्तोत्र ( ६ ) बौद्ध स्तोत्रनो समावेश थाय छे. स्तोत्रकाव्यमां ईश्वरनुं गुणगान करीने कवि पोताना हृदयनी वेदना तथा आकांक्षा श्रद्धापूर्वक व्यक्त करे छे; जेने प्रार्थना कहेवाय छे. प्रार्थना दरेक धर्ममां होय छे. परन्तु भारतीय संस्कृतिमां ओक विशेषता जोवा मळे छे के तेमां निजलीनता अने कोमळता व्यक्त करता भक्तने भगवानना उदार हृदयनो परिचय थाय छे. स्तोत्रकाव्यने भारतीय संस्कृतिमां उपासनानुं श्रेष्ठ साधन मानवामां आव्युं छे. तेमां रहेली गेयता, ललितता, भावार्द्रता, संगीतमयताने कारणे कान्तासम्मित उपदेशनी अनुभूति करावे छे. स्तोत्रकाव्यमां कठोरचित्त मनुष्यने परिप्लावित करवानी प्रशंसनीय शक्ति रहेली छे. आचार्य हेमचन्द्रसूरिनुं प्रदान गुजरातना साहित्य जगत माटे अणमोल, अविस्मरणीय छे. आचार्यश्रीओ व्याकरण, अलङ्कार, छन्द, कोश, महाकाव्य आदि क्षेत्रमां नोंधनीय कृतिओ आपी छे. आमां स्तोत्रनुं क्षेत्र पण अलिप्त रह्युं नथी. स्तोत्र साहित्यमां तेओओ कुल ६ कृति रची छे. जेमां (१) सकलार्हत् स्तोत्र (बृहच्चैत्यवन्दनस्तोत्र) -

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6