Book Title: Sthanakvasi Jain Parampara ka Itihas
Author(s): Sagarmal Jain, Vijay Kumar
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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________________ पार्श्वनाथ विद्यापीठ ग्रन्थमाला - १४० पुस्तक : स्थानकवासी जैन परम्परा का इतिहास लेखक : डॉ० सागरमल जैन एवं डॉ. विजय कुमार प्रकाशन प्रेरक : मानव मिलन प्रेरक मुनि श्री मणिभद्रजी 'सरल' प्रकाशक : पार्श्वनाथ विद्यापीठ आई. टी. आई. रोड, करौंदी वाराणसी- २२१००५ दूरभाष : ०५४२ - २५७५५२१ प्रथम संस्करण : २००३ ई० सन् मूल्य : ५००.०० रू० अक्षर-सज्जा : राजेश कम्प्यूटर्स जयप्रकाश नगर, शिवपुरवाँ, वाराणसी मुद्रक : वर्धमान मुद्रणालय, भेलूपुर, वाराणसी : पार्श्वनाथ विद्यापीठ : 81.86715-72-x ISBN Parswanatha Vidyapitha Series : 140 BooK : Sthānakavāsi Jaina Paramparā kā Itibāsa Author : Dr. Sagarmal Jain & Dr. Vijaya Kumar Publication Initiator: Muni Shri Manibhadraji 'Saral' Publisher : Pārswanātha Vidyäpitha I.T.I. Road, Karaundi, Varanasi- 221105 Phone : 2575521 First Edition: 2003 A.D. Price : 500.00 Rs. Type Setting : Rajesh Computer's Jai Prakash Nagar, Shivpurwa, Varanasi, Phone 0542-2220599 Printed at : Vardhamana Mudranalaya, Bhelupur, Varanasi. नोट- इस ग्रन्थ में प्रस्तुत विचार लेखकों की शोधपूर्ण दृष्टि के परिणाम हैं, उनसे संस्था एवं स्थानकवासी समाज की सहमति हो, यह आवश्यक नहीं है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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