Book Title: Stav Parigna
Author(s): Prabhudas Bechardas Parekh
Publisher: Shravak Bandhu

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Page 11
________________ [अवचूरिका-कार मङ्गलम् ] अथ स्तव-परिज्ञया प्रथम-देशना-देश्यया गुरोगरिम-सारया स्तव-विधिः परिस्तूयते. इयं खलु समुद्धता स-रस-दृष्टि-वादा-ऽऽदितः । श्रुतं निर-ऽघमुत्तमं समय-वेदिभिर्भण्यते. ॥१॥ अथ_ "स्तव-परिज्ञा अत्य-ऽन्तोपयोगिनी" इतियथा पञ्च-वस्तुके दृष्टा, तथा लिख्यते। :

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