Book Title: Sramana 1994 01 Author(s): Ashok Kumar Singh Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi View full book textPage 2
________________ सम्पादक डा० प्रशोक कुमार सिंह वर्ष ४५ प्रधान सम्पादक ० सागरमल जैन प्रो० जनवरी-मार्च, १९९४ प्रस्तुत श्रङ्क में प्रो० सागरमल जैन के निम्न आलेख प्रकाशित किये जा रहे हैं - १ जैनधर्म-दर्शन का सारतत्व २ भगवान महावीर का जीवन और दर्शन ३ जैनधर्म में भक्ति की अवधारणा ४. जैनधर्म में स्वाध्याय का अर्थ एवं स्थान ५. जैन साधना में ध्यान ६. अर्धमागधी आगम साहित्य में समाधिमरण की अवधारणा Jain Education International ७. जैन कर्म सिद्धान्त : एक विश्लेषण ८. जैन जगत् सह-सम्पादक डा० शिवप्रसाद For Private & Personal Use Only अंक १-३ १-१३ १४-१७ १८-३६ ३७-४३ ४४-७९ वार्षिक शुल्क चालीस रुपये एक प्रति दस रुपये यह आवश्यक नहीं कि लेखक के विचारों से सम्पादक अथवा संस्थान सहमत हों । ८०-९३ ९४-१२७ www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 ... 136