Book Title: Siri Usahanahchariyam Author(s): Vijaykastursuri, Chandrodayvijay Gani Publisher: Nemi Vigyan Kastursuri Gyanmandir View full book textPage 7
________________ गुरूणं गुणसंभरणा diaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaa __ चरिमतित्थयरसिरिवद्धमाणजिणवरवइविज्जमाण-सासणस्स पभावगाणं तवागच्छाहिवइ - विउसवरविणमियपायपंकय - अखंडबम्ह. तेयविराइयमुत्ति-कयंबगिरिपमुहाणेगतित्थोद्धारग भट्टारगायरियाणं पगुरुभगवंताणं सिरिविजयनेमिसूरीसराणं - तह य तास पट्टालंकार-समयण्णु-पसंतमुत्ति-वच्छल्लवारिहि सचरणसीलसालीणं गुरुदेवायायरियसिरिविजयविन्नाणसूरिवराणं असीममहुवगारं हिययम्मि सविणयं सएव संभरमाणो. विजयकत्थूरसूरी [सिरिउसहणाहचरिए]Page Navigation
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