Book Title: Siri Usahanahchariyam
Author(s): Vijaykastursuri, Chandrodayvijay Gani
Publisher: Nemi Vigyan Kastursuri Gyanmandir
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________________ पत्थाविगं छज्जति जस्स गंथा, अन्नाणविसहरणे रयणसरिसा / सिद्धनिवइमहिओ जो, कुमारवालस्स बोहगरो // 1 // सव्वण्णुसमो इहयं, कलिकालम्मि य समणवई जाओ। दंसणियसव्वगंथा, जेण विरइया जगपसिद्धा // 2 // सिरिहेमचन्दवरी, विन्नाणविबुडविणमियपयकमलो। तस्स हि सब्भूयजसं, गायमि कत्थूरखरी ई // 3 // सिरिहेमचंदसूरिणो जम्मो विक्कमस्स सैर-वेय-भूमि-ससंक(११४५) वरिसम्मि कत्तियसुक्कमुण्णिमाए धंधुगानयरम्मि होत्था / तस्स पिउणो नाम 'चाच' माउए य 'पाहिणी' आसी। गिहत्थावत्थाए हेमचंदस्स नाम चंगदेवुत्ति / तस्स मोढजाईए उप्पत्ती हुवीभ / चंदकुलायरियदेवचंदसूरी सिरिथंभतित्थम्मि तस्स माऊए आणं घेत्तणं विक्कमस्स गयणसर-चंद-भूमि (1.150) वरिसम्मि माहमासस्स सुक्कचउद्दसोए मंदवासरे रोहिणीनक्खत्तम्मि सिरिपासणाहचेहयम्मि दिक्खं दाऊणं सोमचंदत्ति नाम अकरिंसु / तओ सोमचंदो निम्मलमइबलेण नाय-वागरण-साहित्तपमुहबिज्जाओ अब्भसित्ता विसेसओ मइविगासनिमित्तं कम्हारदेसम्मि गंतूण सरस्सईदेवीसमाराहणमणोरहं कासी। तयणतरं थंभणतित्थाओ गीयद्वसाइहिं सह विहारं काऊणं कमेण थंभतित्थसमीवस्थिअ-रेवयावयारतित्थम्मि सिरिनेमिणाहचेइए तीए आराहणे सावहाणपरो होत्था / तइया पुण्णाणुभावाओ ममरतीए नासग्गठविभनेत्तस्स तस्स सोमचंदस्स पुरओ पञ्चक्खीहोऊण पसण्णा सरस्सई वएइ-'वच्छ ! देसंतरं मा वच्चसु, तुम्हेच्चयविसुद्धभत्तीए तुद्वा हं। तुम्ह इच्छिअं एत्थच्चिम सिज्झिहिई' इइ वोत्तणं सा अदंसणं पत्ता / लद्धसरस्सइपसायं तं सोमचंदं पासिऊणं गुरखो संघसमक्खं नगराहीसविहियमहसवपुव्वयं विक्कमस्स रस-उउ-सेसि-ससंक (1166) वरिसम्मि अक्खयतइयाए मज्झण्हसमए सूरिमंतपयाणेण तं आयरियपए ठवित्था / तइया सो हेमचंदसूरी इअ नामेणं पसिद्धिं पाविओ।। तस्स माया पाहिणी सुयसिणेहेण गुरुसगासम्मि संजमं गिण्हित्था / जणणीवच्छलो अहिणवायरिमो गुरुहत्थाओ तं पवत्तणीपयम्मि ठवीम /

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