Book Title: Siri Chandrai Chariyam
Author(s): Kastursuri, Chandrodayvijay, 
Publisher: Nemi Vigyan Kastursuri Gyanmandir

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Page 316
________________ सिरिचंद रायचरिए चउत्थो उद्देसो ॥२६४॥ KKKAKKAKKKK पारिति गंथरयणे, जस्स पसाएण मारिसा मंदा । समयण्णु गुरुराय, नमिमो सिरिसूरिविन्नाणं ॥ १२॥ सीसेण तस्स रइयं, नरवइसिरिचंदरायचरियमिमं । कत्थूरायरिएणं, वरिसे भुअहत्थ-नहँनेत्ते ॥ १३ ॥ इअ तबागच्छाहिवइ-सिरि कयंबप्पमुहाणेग-तित्थोद्धारग-सासणप्पहावग-आबालबंभयारि-सूरीसरसेहर-आयरिय-विजयनेमिसूरीसर-पट्टालंकार-समयण्णु-वच्छल्लवारिहि-आयरिअविजयविण्णाणसूरीसरपट्टधरसिद्धतमहोदहि-पाइअभासाविसारयायरिअविजयकत्थूरसूरिणा विरइए. पाइअसिरिचंदरायचरिए चंदरायपयडण–वीरमईवह-आभापुरिप्प याण-संजमग्गहण-मुत्तिपयगमणसरूवो चउत्थोदेसो समत्तो समत्तं च सिरिचंदरायचरियं ।२६४|| JainEducation intende.ha For Personal & Private Use Only ww.jainelibrary.org

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