Book Title: Sindurprakar
Author(s): Somprabhacharya, Rajendramuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 9
________________ (७) आज जो कुछ मैं हूं वह सब उन्हीं के अनुग्रह का सुफल है। मैं उनके ऋण से उऋण हो सकूँ, यह मेरे में सामर्थ्य भी नहीं है। मेरी मनोकामना है कि मैं सदा उनके चित्त में रमा रहूं। उनकी प्रेरणा मेरे जीवन का संगीत बन जाए, उनका प्रत्येक शब्द मेरा अन्तर्नाद हो जाए और उनका कार्य मेरा आदर्श बन जाए। वे मुझे प्रज्ञा का वह आलोक प्रदान करें जिससे मैं स्वयं प्रज्ञावान बनूं और दूसरों को भी उसी आलोक में देख सकूँ। युवाचार्यश्री महाश्रमण की सतत मंगलकामना और उनका प्रेरणा-पाथेय निरन्तर मेरे जीवन में मिलता रहा है। वे जाने-अनजाने मेरे कार्य में सहयोगी रहे हैं। उन्होंने मेरे प्रत्येक कार्य को गहराई से देखा और परखा है और प्रशंसा की तूलिका से उसे चित्रित भी किया है। इस अर्थ में उनके प्रति अहोभाव ज्ञापित करना मेरा यह लघु प्रयास है। __मैं स्वर्गीय मुनिश्री श्रीचंदजी 'कमल' को भी नहीं भूल सकता। उनके सान्निध्य में मैंने संस्कृत व्याकरण के अनेक रहस्यों को समझा है और संस्कृत में गतिशील बने रहने की प्रेरणा पाई है। ___आगम मनीषी मुनिश्री दुलहराजजी स्वामी प्रारंभ से ही मेरी सभी गतिविधियों में साक्षीभूत रहे हैं। जब से मैं दीक्षित हुआ सदा उन्हीं की छाया में रहा। वे मेरी ज्ञान-दर्शन-चारित्र की आराधना में आलंबनभूत बने हैं। उन्होंने मेरे कार्य को अपना कार्य मानकर आद्योपान्त काव्य का अनुवाद, अवबोध और कथाओं का सूक्ष्मता से अवलोकन कर ग्रंथ के आकार-प्रकार को सजाया और संवारा है। प्रारंभ में 'सिन्दूरप्रकर' का अनुवाद करते समय मेरे पास कोई आधार पुस्तिका नहीं थी। मुनिश्री मणिलालजी स्वामी ने गुजराती भाषा में मुद्रित कृति उपलब्ध कराकर मेरे मार्ग को सरल कर दिया। इस अर्थ में वे भी मेरे हृदय में स्थान बनाए हुए हैं। ___ मुनि ऋषभकुमारजी साधुवाद के पात्र हैं कि उन्होंने अपना अमूल्य समय लगाकर मेरे कार्य का मूल्यांकन किया और मेरी भूलों के प्रति मेरा ध्यानाकर्षण किया। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 ... 404