Book Title: Siddhaprabha Vyakaranam
Author(s): Rushabhdev Keshrimal Jain Shwetambar Sanstha Ratlam
Publisher: Rushabhdev Keshrimal Jain Shwetambar Sanstha Ratlam

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Page 17
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रीवीतरागाय नमः। प्रणम्य परमात्मानं, साधुशब्दार्थदर्शिनम् । जिनं सर्वज्ञमर्हन्तं, वीरं सिद्धप्रभां ब्रुवे ॥१॥ १-१-१ अहम् शास्त्रादौ प्रणिधेयम् । १-१-२ सिद्धिः स्याद्वादात् नित्यानित्यत्वाधनेकधर्मशबलैकवस्त्वङ्गीकाररूपात् । १-१.३ लोकात् अनुक्तानां क्रियागुणादिसंज्ञानां परनित्यान्तरङ्गानवकाशानां परं बलीय इत्यादिन्यायानां च सिद्धिः। अआइईउऊऋऋलल । एऐओऔ। अंअः। कखगघङ । चछजझन । टठडढण । तथदधन। पफबभम। यरलव । शषसह । इति वर्णाम्नायः। तत्र-१-१-४ औदन्ताः स्वराः, संज्ञा १ परिभाषा२ऽधिकार ३ विधि ४ प्रतिषेध ५ नियम ६ विकल्प ७ समुच्चया८ तिदेशा ९ नुवादेषु १० संज्ञाऽत्र । १-१-५ एकद्वित्रिमात्रा हस्वदीर्घप्लुताः स्वराः, मात्रा कालविशेषः, द्वन्द्वाद्यन्तपदं प्रत्येकं, अइउऋल. एकमात्रा हस्वाः,आईऊऋलएऐओऔ द्विमात्रा दीर्घाः, अ३ ३३ उ३ इत्याद्यास्त्रिमात्राः प्लुताः । १-१-६ अनवर्णा नामी स्वराः। १-१-७ल्दन्ताः समानाः स्वराः॥१-१-८ एऐओऔ सन्ध्यक्षरम् ,नैषांदस्वाः ।१-१-९अंअः अनुस्वारविसौँ।१-१-१०कादियञ्जनं हान्तः।१-१-११अपञ्चमान्तःस्थो धुट् कादिः। १.१.१२पञ्चको वर्गः कादिमान्तेषु, कचटतपाः। For Private and Personal Use Only

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