Book Title: Siddhaprabha Vyakaranam
Author(s): Rushabhdev Keshrimal Jain Shwetambar Sanstha Ratlam
Publisher: Rushabhdev Keshrimal Jain Shwetambar Sanstha Ratlam
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(११)
प्राकृते
आक्रन्देीहरः ४११३१ हः सदादौ, १७२ सइ सया ईहरे वा ११५१ आदेरतः। एरदीतो म्मी वा ३२८४ एतदः । ओत्पूतरबदरनवमालिकानवफलिकापूगफले १११७० क्ष्माइलाघारत्नेऽन्त्यव्यञ्जनात् २।१०१ पूर्वोऽत् । ग्रहो वलगेण्हहरमंगनिरुवाराहिपच्चुआः ४।२०९ घूर्णो घुलघोलघुम्मपहल्लाः ४।११७ चतुरश्चत्तारो चउरो चत्तारि न दीर्घा णो ३११२५ चतुरो वा ३११७ दीर्घः, भिसादिषु । छोऽक्ष्यादौ २०१७ संयुक्तस्य । तिर्यश्चस्तिरिच्छः २।१४३ । धनुषो वा १२२ हः। वाऽऽमंत्र्यात् सौ मः ३३३७ स्वस्रादेः पलिते वा श२१२ तो लः।।
भो दुहलिहवहरुधामुच्चातः ४।२४५ कर्मभावे । मधूके वा १११२२ उ. लघुके लहोः २।१२२ व्यत्ययः वैरादौ वा १११५२ अइः।
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