Book Title: Siddh Hemhandranushasanam Part 01
Author(s): Hemchandracharya, Udaysuri, Vajrasenvijay, Ratnasenvijay
Publisher: Bherulal Kanaiyalal Religious Trust
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1. 1400 तारंगा आदि स्थलमें नवीन जिनमंदिरों का निर्माण करायां । 2. अठारह देश में जीव दया का पालन करायां । . 3. 16000 जिन मंदिरों का उद्धार कराया। 4. प्रतिवर्ष । करोड रु. साधर्मिक की भक्ति में खर्च किया । 5. 21 ज्ञान भण्डार बनवाएँ । 6, अपुत्रियों के धन का त्याग किया । 7. संपूर्ण राज्य में से सात व्यसनों को देश निकाला दिया ।
साहित्य रचना : कलिकालसर्वज्ञ हेमचन्द्राचार्यजी ने स्व-पर कल्याण के लिय अपने जीवनकाल में साडे तीन करोड श्लोक प्रमाण साहित्य की रचना की है। दुर्भाग्य से अजयपाल आदि दुष्ट शासकों ने उस अमूल्य महानिधि को अत्यधिक क्षति पहुँचाई...जिसके फल स्वरूप हम आचार्यश्री की पूर्ण साहित्य संपदा को प्राप्त न कर सके...किर भी जो कुछ उनका साहित्य विद्यमान हैं...वह साहित्य जगत में एक गौरवपूर्ण स्थान लिये हुए है । प्रचलित/परिचित साहित्य का अल्य परिचय यहाँ दिया जा रहा हैं___ 1. 'सिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासन'-मूल संस्कृत सूत्र 3566, प्राकृत सूत्र 1119, रचनाकाल
संवत 1193. 2. सिद्ध हेमचन्द्र लघुवृत्ति-6000 श्लोक प्रमाण, 3. सिद्धहेमचन्द्र वृहदवृत्ति (तत्त्वप्रकाशिका) 18000 श्लोक प्रमाण. 4. सिद्धहेमचन्द्र बृहन्न्यास-84000 श्लोक प्रमाण (जो आंशिक रूप से उपलब्ध है ।) 5. लिंगानुशासन-शब्दों के लिंग संबंधी विस्तृत जानकारी का संग्रह-ग्रन्थ. 6. लिंगानुशासन-वृत्ति-लिंगानुशासन के मूल 138 श्लोकों पर 3684 इलोक प्रमाण विस्तृतटीका 7. उणादिगण पाठवृत्ति-उणादि सूत्रों पर 3250 श्लोक प्रमाण टीका । 8. धातुपारायण-धातु पाठ पर विस्तृत टीका-5600 श्लोक प्रमाण. 9. प्राकृत व्याकरण टीका शौरसेनी, मागधी, पिशाची, चुलिका पिशाची तथा अपभ्रंश आदि छह
भाषाओं के सूत्रों पर टीका. 10. अभिधान चिंतामणी कोशवृत्ति-अभिधान चिंतामणी एक विस्तृत शब्द कोष है । उसके
1441 श्लोकों पर 10000 श्लोक प्रमाण विस्तृत टीका है । 11. अनेकार्थसंग्रह-1829 श्लोक प्रमाण 12. निघंटु शेष-396 श्लोक प्रमाण है । 13. देशी नाममाला-यह 3500 श्लोक प्रमाण है । 14. काव्यानुशासन-अलंकार और विवेक वृत्तिव्युक्त.