Book Title: Shwetambar Jain Tirth Darshan Part 02 Author(s): Jinendrasuri Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala Previous | NextPage 8________________ कलिकाल उग्रतपःकारक, अट्ठाई से वीश स्थानक आराधक, एक माह में तीन-तीन अट्ठाई करने वाले, उग्र स्वाध्याय प्रेमी, जिंदगीभर पांच रस के त्यागी परम उपकारी ANSC सन्मतिपत्र।। do पूज्य आचार्य देवेश श्रीमद् विजयकर्पूरसूरीश्वरजी महाराजा 30Loading...Page Navigation1 ... 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 ... 328