Book Title: Shrutsagar Ank 1996 01 002
Author(s): Manoj Jain, Balaji Ganorkar
Publisher: Shree Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 8
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुत सागर, माघ 2052 आचार्य श्रीकैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर ग्रंथावलोकन का कम्प्यूटराइजेशन प्रोजेक्ट जीवन दृष्टि ग्रंथ प.पू. राष्ट्रसंत आचार्यश्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म.सा. के [गतांक से आगे] प्रवचनों का संग्रह है. पाली (राजस्थान) में सं.२०४०के चातुर्मास की अवधि में पं. ज्ञान मंदिर में संरक्षित एवं संगृहित हस्तलिखित प्रतों में काल जन्य दोष से जीर्ण, | पू. गुरु भगवंत ने श्री संघ का नियमित उद्बोधन किया था. उनके प्रवचन सरल, सुबोध अस्पष्ट, खण्डित अंशों/भागों/अक्षरों हेतु तथा प्रत लेखक द्वारा किन्हीं कारणों से रह | सर्व हृदय ग्राही एवं सर्व कल्याणकारी हैं. उनके प्रवचनों में अथाह गूढ़ चिन्तन का रहर गई भूल को कम्प्यूटर की सहायता से सुधारा जा सकता है. इसके लिए Scannar | झलकता है. उन्होंने किसी उपदेश या शिक्षा को प्रदान करने के लिए छोटे-छोटे रूपकी की सहायता ली जाती है. सर्व प्रथम हस्तप्रत को कम्प्यूटर पर स्केन करके उसका चित्र का अत्यंत श्रेष्ठ प्रयोग किया है. उनकी एक छोटी सी उपमा भी अपने आप में बहुत लिया जाता है. इस चित्र में कटे-फटे, जीर्ण पाठ के स्थान को साफ (Clean) कर कुछ कह दे रही है. दस भागों में विभक्त प्रवचनों के संग्रह में 10 विभिन्न किसी भी देते हैं और वहाँ पर यथेष्ट/वांछित शब्दों/अक्षरों को हस्तप्रत में ही उपलब्ध अक्षरों | व्यक्ति के लिए परमावश्यक मुद्दों की चर्चा की गई है. को क्रमशः एक-एक कर वांछित स्थान पर रखते हैं. ('पेस्ट' करते हैं.) इस विधि सर्व प्रथम मंगल प्रवचन से किसी भी व्यक्ति के जीवन की पूर्णता को अभिव्यक्त द्वारा किसी हस्तप्रत की यथावत् कम्प्यूटर प्रति तैयार की जा सकती है. इस विधि किया गया है. आचार्यश्री दूध की उपमा देते हैं. चाहे कितना भी दूध हो एक चमच का अन्य लाभ यह है कि प्राचीन हस्तप्रतें मानवीय भूलों या असावधानी से नष्ट या दही का मिश्रण पूरे दूध को दही बना देता है. उसी प्रकार परमात्मा के मंगल प्रवचन क्षतिग्रस्त हो सकती हैं जबकि दुर्लभ हस्तप्रतों को Scan कर कम्प्यूटर पर अथवा इनके का यदि थोड़ा भी चिन्तन कर लिया जाय तो जीवन सार्थक हो जाएगा. थोड़ा सा प्रवचनप्रिन्ट निकाल कर अध्ययन हेतु उपलब्ध किया जाय तो हमारी प्राचीन अमूल्य दुर्लभ श्रवण जीवन को रूपांतरित कर देता है. दूसरे प्रवचन में सब से सुन्दर धर्म कौन है विरासत निस्संदेह संरक्षित एवं सुरक्षित रह सकेगी. यह सबसे बड़ी उपलब्धि मानी इसका उत्तर दिया गया है. "जहाँ पर जिस आत्मा की अन्तर आत्मा निर्मल हो, पवित्र जानी चाहिए. | हो, वही विश्व का सबसे बड़ा धर्म व सुन्दर धर्म है. प्रवचन और चौथे प्रवचन में सत्य कम्प्यूटर केन्द्र में संस्था द्वारा प्रकाशित पुस्तकों के प्रकाशन हेतु DTP Work| और सदाचार का जीवन में महत्त्व बताया गया है. चारित्र एवं सदाचार के महत्त्व को भी किया जाता है. अभी तक नौ पुस्तकों की सुन्दर कम्पोजिंग हो चुकी है. जैन धर्म | प्रतिपादित करने के लिए आचारांगसूत्र, रामायणादि तथा पाश्चात्य चरित्रों के रूपक के एकमात्र प्रत्यक्ष पंचाग का सूक्ष्म गणित कम्प्यूटर पर कुछ सप्ताहों में ही यहाँ पर वर्णित किये गये हैं. यहाँ आहार शुद्धि से विचारों में पवित्रता, रात्रिभोजन के दुष्परिणाम, हो जाता है जो कि मैन्यूअल करने में कई माह लगेंगे. शेष पृष्ठ 2 पर | दीर्घायु का नुस्खा, शब्दों का चमत्कार आदि बहुत ही सहज ढंग से प्रस्तुत हुए हैं. छठे प्रवचन में भक्ति की शक्ति का वर्णन है. भक्ति आत्मसमर्पण का रूप है, इससे With Best Compliments From : अहंकार का नाश होता है. गुरुदेव कहते हैं अन्न जल के बिना चल सकें परन्तु प्रभु के विना एक क्षण भी नहीं चल सके....प्रभुजीवी बनना - अन्तर साक्षी भाव रखकर वाह्य दृष्टि को क्षोभ पूर्वक भूला देना ही शांति की चाबी है. जिनाज्ञा पालन - यह सच्ची जिन भक्ति है, भक्ति योग अर्थात् भाव देना. भाव देना अर्थात् हृदय सौंपना, हृदय के सिंहासन पर इष्ट को प्रतिष्ठित करना, जो सामग्री प्राप्त हुई है उसका भक्ति द्वारा सदुपयोग करना चाहिए. सातवें प्रवचन में भारतीय संस्कृति में तप-साधना की महत्ता प्रतिपादित की गई है.जैन साधना का लक्ष्य मोक्ष है, शुद्ध आत्म तत्त्व की उपलब्धि है जो तप से ही सम्भव है. जैन साधना में तप का कितना महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है; इस तथ्य के साक्षी जैनागम ही नहीं है, प्रत्युत वौद्ध और हिन्दू आगमों में भी जैन साधना के तपोमय स्वरूप का चित्रण उलब्ध होता है. तप के द्वारा आत्मा की अकुशल चित्त BHARAT INDUSTRIAL ESTATE वृत्तियों को क्षीण किया जाता है. आठवें प्रवचन में ध्यान और साधना के लिए बहुत T.J. ROAD, SEWREE BOMBAY - 400015, INDIA ही सरल मार्ग दर्शाया गया है. नौंवें प्रवचन में मितभाषिता को साधना बताया गया TEL : (O)4132435,4137253 है. बोलना एक कला है. मुँह से निकले हमारे प्रत्येक शब्द का श्रोता पर क्या प्रभाव FAX : 91-22-4130747 पड़ेगा, इसका पूरा विचार करके फिर मुँह खोलना चाहिए. मूर्ख और विद्वान में अन्तर TELEX: 11-71001. करते हुए आचार्यश्री कहते हैं कि विद्वान पहले सोचता है और फिर शेष पृष्ठ 3 पर GRAM : STANCOR Book Post/Printed Matter MECO INSTRUMENTS PVT. LTD. Manufacturers & Exporters To Electrical Mesuring Instruments Shrut Sagar Printed at: DhwaniGraphics, Jaisri Ranchhodnagar, Vasana,Ahmedabad. 06634333 Published & Despatched by Secretary, Shree Mahavir Jain Aradhana Kendra, Koba, Gandhinagar-382009.0 (02712)76204,76205,76252 If undelivered please return to: Sri Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba, Gandhinagar-382009 (India) For Private and Personal Use Only

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