Book Title: Shrutsagar 2016 10 Volume 03 05
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 34
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अंदर के टाईटल में दर्शित त्रि-दिवसीय रत्नत्रयी महोत्सव की झलकियाँ ___ श्री कल्पेशभाई वी. शाह ने बताया कि मुनि श्री पद्मरत्नसागरजी म. सा. जिनका जन्म आसाम की भूमि शिलोंग में दिनांक १८/०९/१९६७ को हुआ था. राष्ट्रसन्त जैनाचार्य श्री पद्मसागरसूरिजी म. सा. के पावन सान्निध्य में आत्मसाधनामग्न गुरुसेवाभावी लघुबंधु मुनि श्री प्रशांतसागरजी म.सा. की संयम यात्रा से आकर्षित होकर स्वयं भी उसी मार्ग को अपनाने की उत्कट भावना से ओत-प्रोत होकर राष्ट्रसन्त से संयम दीक्षा ली. ज्ञानोपासना के साथ साधुजीवन सुंदररूप से व्यतीत किया. उन्होंने आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर कोबा द्वारा प्रकाशित होने वाले लघु जैन पंचांग, कैलासपद्मस्वाध्यायसागर के ९ भाग, जीवन यात्रा का राजमार्ग, चरणोनी सेवा नित-नित चाहुं, जिणंदजी भवजल पार उतार, साधुभाई समय सुधारस पीजे, सर्वमंगल मांगल्यं आदि लोकप्रिय प्रकाशनों को प्रकाशित कराकर ज्ञान का लाभ समाज को दिया. ३० साल के दीक्षा पर्याय में गुरुदेवश्री के पावन सान्निध्य में रहकर अपनी आत्मसाधना व शासन प्रभावना के कार्य में सहभागी बने. स्वाध्याय जिनका जीवनमंत्र था वैसे मुनिश्री ४९ वर्ष की अल्पायु में ही श्रावण वद ७ दिनांक २६/०७/२०१६ को अपनी संयम यात्रा समाप्त कर स्वर्गवासी हो गए. उस प्रसंग के उपलक्ष्य में श्री पुष्पदंत श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ एवं पूज्यश्री के सांसारिक परिवार (गुज.) कड़ी निवासी मातुश्री हसुमतीबेन सुरेन्द्रभाई संघवी परिवार द्वारा दिनांक १६/०९/२०१६ से त्रिदिवसीय रत्नत्रयी महोत्सव का सुन्दर आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में प्रथम दिन को मुनिश्री की साधना के विशेष इष्ट स्तोत्र महाप्रभावक श्री उवसग्गहरं स्तोत्र युक्त श्री पार्श्वनाथजी का विशिष्ट अनुष्ठान किया गया, द्वितीय दिन भव्य स्नात्र-महोत्सव जिसमें सुश्रावक श्री ललितभाई धामी (तपोवन वाले) व साबरमती संगीत मंडल ने स्नात्र महोत्सव की रमजट जमाई. तृतीय दिवस को संयम-वन्दना समारोह का आयोजन किया गया जिसमें बारडोली वाले सुश्रावक श्री दीपकभाई द्वारा संगीतबद्ध संवेदना की अविरत धारा बहाई गई. इस प्रसंग पर पूज्य गुरुदेव आचार्यश्री ने भी मुनिप्रवर के विशेष गुणों पर प्रकाश डाला. कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे, तत् पश्चात् सकल श्रीसंघ की साधर्मिकभक्ति की गई. इस प्रकार सारा कार्यक्रम सानंद संपन्न हुआ. For Private and Personal Use Only

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