Book Title: Shri 108 Navkar
Author(s): Abhayshekharsuri
Publisher: Arham Parivar Trust

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Page 4
________________ সালীর समरो मंत्र भलो नवकार, समरो मंत्र भलो नवकार ए छे चौद पूरवनो सार; एछे चौद पूरखनो सार अना महिमानो नहीं पार, ओना महिमानो नहीं पार ओनो अर्थ अनंत अपार. अनो अर्थ अनंत अपार सुखमां समरो दुःखमां समरो, सुखमां समरो दुःखमां समरो समरो दिवस ने रात, . समरो दिवस ने रात जीवतां समरो मरतां समरो, जीवतां समरो मरतां समरो.समरो सौ संगाथ. समरो सौ संगाथ योगी समरे भोगी समरे, योगी समरे भोगी समरे समरे राजा रंक; समरे राजा रंक देवो समरे दानव समरे, देवो समरे दानव समरे समरे सौ निःशंक. समरे सी निःशंक अडसठ अक्षर ओना जाणो, अडसठ अक्षर अना. जणो अडसठ तीरथ सार; अडसठ तीरथ सार आठ संपदाथी परमाणो, आठ संपदाथी परमाणो अडसिद्धि दातार. अडसिद्धि दातार नवपद ओना नवनिधि आपे, नवपद अना नवनिधि आये भवभवना दुःख कापे; भवभरना दुःख कापे वीर वचनथी हृदये स्थापे, Jain Education Internalizatel & Personalubhae amelibrary.org हृदयस्था परमातम पद जाlibrary.org

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