Book Title: Shri 108 Navkar
Author(s): Abhayshekharsuri
Publisher: Arham Parivar Trust

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Page 8
________________ जापमाळ दिशा १) दिशा ) स्थान HAROGY हमेशा माटे निश्चित रहे अने । ३) आसन अखंड रहे तो लाभ वधु थाय छे. ४) समय ५) माला अने जाप संख्या भाष्य जाप । बीजाने संभलाय ओ रीते बोलीने जाप उपांशु जाय | होठ-जीभ फफडाववापूर्वक बहार अवाज न आवे ओ रीते जाप मानस मानस जाप मनमा जाप. होठ पण न फफडे •अजपा जाप प्रयत्न विना सहज थतो जाप _Jain Education Internaticatel& Personaliyanesतानोछ.g से संभला बोलावि जाप जापना अजपा प्रकार

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