Book Title: Shraman Achar Miamnsa
Author(s): Bhagchandra Jain
Publisher: Z_Sadhviratna_Pushpvati_Abhinandan_Granth_012024.pdf

View full book text
Previous | Next

Page 9
________________ साध्वीरत्न पुष्पवती अभिनन्दन ग्रन्थ (२४) विभज्जवादी विभज्जवादी (२५) एक पात्र, और वह भी अलाबू, काष्ट या मिट्टी का मिट्टी व लोहे का पात्र विहित है, काष्ठादि का नहीं । (२६) उपकरणों में वस्त्र, पात्र, कंबल, पादपुञ्छन, अवग्रह, तथा कटासन विहित हैं । (२७) आहार-विहार में प्रतिबन्ध अधिक है । ( २८ ) स्नान वर्जित है ( २ ) आभूषण, साजसज्जा वर्जित (३०) परक्रिया निषेध (३१) संखडि भोजन निषिद्ध (३२) औद्देशिक भोजन वर्जित ( ३३ ) उपसर्गों की तीव्रता तथा कठोर व्रतों का पालन (३४) उपानह तथा छत्ते का उपयोग वर्जित है । (३५) परिग्रह तथा आरम्भ वर्जित है ( ३६ ) शाश्वत सुख की प्राप्ति के लिए कष्ट सहन या तप आवश्यक है । (३७) आहार दोषों का सूक्ष्म विश्लेषण (३८) अधर्मक्रिया - स्थानों का सूक्ष्म विश्लेषण ( ३६ ) विद्या, मन्त्र तन्त्र का निषेध फिर भी उनका यदा-कदा अहिंसक प्रयोग प्रचलित है । (४०) पंडक आदि को दीक्षा के अयोग्य माना गया । ( ४१ ) आठ वर्ष से कम अवस्था वाले को प्रव्रज्या का निषेध (४२) प्रव्रज्या के लिए माता-पिता की अनुज्ञा अनिवार्य है । ११८ | चतुर्थं खण्ड : जैन दर्शन, इतिहास और साहित्य उपकरणों में कैंची, वस्त्र - खण्ड, सुई, नाली नलिका, गोंद, जलगालन, मसहरी, उदक पान आदि विहित हैं । प्रतिबन्ध है, पर उस सीमा तक नहीं । स्नान की मात्रा अधिक न हो । वर्णादि का उपयोग न हो । जित है । परक्रिया निषेध संखडिभोजन निषिद्ध वर्जित नहीं । कठोर व्रत और तप आवश्यक नहीं । अतः उपसर्गों की तीव्रता भी कम है । वर्जित नहीं । सीमित है । आवश्यक नहीं । मध्यम मार्ग अनुमत है । स्थूल विश्लेषण । अकस्मात् अनर्थदण्डादि को हिंसा रूप नहीं मानता । समानता पर विकास अधिक है। पंच मकारों का भी प्रयोग प्रारम्भ हो गया । पंडक आदि को उपसंपदा के अयोग्य माना गया । दस वर्ष से कम अवस्था वाले को उपसंपदा का निषेध यहां भी अनुज्ञा अनिवार्य है । www.ja

Loading...

Page Navigation
1 ... 7 8 9 10