Book Title: Shraddhvidhi Prakaranam Bhashantar Author(s): Jayanandvijay Publisher: Jayanandvijay View full book textPage 400
________________ धन को धूल समान मानने वाला ही साधना कर सकता है। जिनपूजा की क्रिया उसी के लिए तारक बनती है जो विधि एवं बहुमान का ज्ञाता बनकर जिन बनने के लिए करता है / आज्ञा की आराधना आराधक के लिए अतीव उपयोगी साधन है। शास्त्र दर्शित विधि-विधानों का अर्थ घटन समकिति का सत्य होगा। समाचारी और सिद्धान्त के भेद को सूक्ष्मता से समझना आवश्यक है। "जयानन्द "Page Navigation
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