Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 15
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ // 24 // // 25 // // 26 // // 27 // // 28 // // 29 // एगासीइ कोडीणं, नउया दस चेव जोयणसहस्सा / गोतित्थेण विरहियं, खोयरसे सागरे खेत्तं तेवढे कोडिसयं, चउरासीईच सयसहस्साइं। नंदीसरवरदीवे, विक्खंभो चक्कवालेणं एगासी एगनउयाउ, पंचाणउई भवे सहस्साई / तिण्णेव जोयणसए, ओगाहित्ताण अंजणगा चुलसीइसहस्साई, उव्विद्धाओ गया सहस्समहो / धरणियले वित्थिण्णा, अणूणगो ते दससहस्से जत्थिच्छसि विक्खंभं, अंजणणगाउ उवरिवत्ताणं / तं तिगुणयंति काउं, अट्ठावीसाए विभयाहि नव चेव सहस्साई, पंचेव य होंति जोयणसयाई / अंजणगपव्वयाणं, मूलम्मि उ होइ विक्खंभो - तीसं चेव सहस्सा, बायालीसं च जोयणा ऊणा। अंजणगपव्वयाणं, मूलम्मि उ परिस्ओ होइ नव चेव सहस्साई, चउ चेव सया हवंति उ अणूणा / अंजणगपव्वयाणं, धरणियले होइ विक्खंभो एगुणतीससहस्सा, सत्तेव सया हवंति छव्वीसा। अंजणगपव्वयाणं, धरणियले परिरओ होइ पंचव सहस्साइं, दो चेव सया हवंति उ अणूणा / / अंजणगपव्वयाणं, बहुमज्झे होइ विक्खंभो सोलस चेव सहस्सा, सत्तेव सया बिहुत्तरा होति / अंजणगपव्वयाणं, बहुमज्झे परिरओ होइ विक्खंभेणंजणगा, सिहरतले होंति जोयणसहस्सं / तिनेव सहस्साई, बावट्ठिसयं परिरएणं // 30 // // 31 // // 32 // // 33 // // 34 // // 35 // 3.
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