Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 11
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 13
________________ पू.उपाध्यायश्रीमानविजयगणिविरचितः ॥धर्मसंग्रहः // प्रणम्य प्रणताशेषसुरासुरनरेश्वरम् / तत्त्वज्ञं तत्त्वदेष्टारं महावीरं जिनोत्तमम् .. // 1 // श्रुताब्धेः सम्प्रदायाच्च, ज्ञात्वा स्वानुभवादपि। . सिद्धान्तसारं ग्रथमामि धर्मसङ्ग्रहमुत्तमम् // 2 // वचनादविरुद्धाद्यदनुष्ठानं यथोदितम् / मैत्र्यादिभावसम्मिश्र, तद्धर्म इति कीर्त्यते // 3 // स द्विधा स्यादनुष्ठातृगृहिव्रतिविभागतः / सामान्यतो विशेषाच्च, गृहिधर्मोऽप्ययं द्विधा // 4 // तत्र सामान्यतो गृहिधर्मो न्यायार्जितं धनम् / वैवाह्यमन्यगोत्रीयैः, कुलशीलसमैः समम् शिष्टाचारप्रशंसारिषड्वर्गत्यजनं तथा।। इन्द्रियाणां जय उपप्लुतस्थानविवजनम् सुप्रातिवेश्मिके स्थानेऽनतिप्रकटगुसके। . अनैकनिर्गमद्वारं गृहस्य विनिवेशनम् . // 7 // पापभीरूकता ख्यातदेशाचारप्रपालनम् / . सर्वेष्वनपवादित्वं नृपादिषु विशेषतः // 8 // आयोचितव्ययो वेषो, विभवाद्यनुसारतः / मातापित्रर्च सङ्गः सदाचारैः कृतज्ञता // 9 // अजीर्णे भोजनं काले भुक्तिः सात्म्यादलोल्यतः / वृत्तस्थज्ञानवृद्धार्हा गर्हितेष्वप्रवर्त्तनम् // 10 // भर्त्तव्यभरणं दीर्घदृष्टिधर्मश्रुतिर्दया / अष्टबुद्धिगुणैर्योगः पक्षपातो गुणेषु च ... // 11 //

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