Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 08
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 13
________________ // 40 // कडुअकसायतरूणं, पुर्फ च फलं च दो वि विरसाई / पुप्फेण झाइ कुविओ, फलेण पावं समायरइ // 36 // संते वि को वि उज्झइ, को वि असंते वि अहिलसइ भोए / चयइ परपच्चएण वि, पभवो दठूण जह जंबु // 37 // दीसंति परमघोरा वि पवरधम्मप्पभावपडिबुद्धा। .. जह सो चिलाइपुत्तो पडिबुद्धो सुंसुमाणाए . // 38 // पुप्फियफलिए तह पिउघरम्मि तण्हा छुहा समणुबद्धा / ढंढेण तहा विसढा, विसढा जह सफलया जाया // 39 // आहारेसु सुहेसु अ रम्मावसहेसु काणणेसुं च / साहूण नाहिगारो अहिगारो धम्मकज्जेसु साहू कंतारमहाभएसु अवि जणवए वि मुइअम्मि। अवि ते सरीरपीडं, सहती न लहं (यं) ति य विरुद्धं // 41 // जंतेहि पीलिया वि हु, खंदगसीसा न चेव परिकुविया / विइयपरमत्थसारा, खमंति जे पंडिआ हुंति // 42 // जिणवयणसुइसकण्णा, अवगयसंसारघोरपेयाला / बालाण खमंति जई, जइ त्ति किं इत्थ अच्छेरं ? // 43 // न कुलं इत्थ पहाणं, हरिएसबलस्स किं कुलं आसी ? / आकंपिया तवेणं, सुरा वि जं पज्जुवासंति // 44 // देवो नेरइउ त्ति य, कीड पयंगु त्ति माणुसो वेसो। रूवस्सी अ विरूवो, सुहभागी दुक्खभागी अ राउ त्ति य दमगु त्ति य, एस सवागु त्ति एस वेयविऊ। . सामी दासो पुज्जो, खल त्ति अधणो धणवइ त्ति // 46 // न वि इत्थ को वि नियमो, सकम्मविणिविट्ठसरिसकयजिट्ठो / अन्नुन्नरूववेसो, नडु व्व परियत्तए जीवो // 45 // // 47 //

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