Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 08
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 12
________________ जं जं समयं जीवो, आविसइ जेण जेण भावेण / सो तम्मि तम्मि समये, सुहासुहं बंधए कम्म // 24 // धम्मो मएण हुँतो तो न वि सीउण्हवायविज्झडिओ। संवच्छरम(रं अ)णसिओ, बाहुबली तह किलिस्संतो // 25 // निअगमइविगप्पिअचिंतिएण सच्छंदबुद्धिरइएणं / कत्तो पारत्तहिअं कीरइ गुरुअणुवएसेणं? / // 26 // थद्धो निरोवयारी, अविणीओ गविओ निरुवणामो। साहुजणस्स गरहिओ, जणे वि वयणिज्जयं लहइ // 27 // थोवेण वि सप्पुरिसा, सणंकुमारु व्व केइ बुझंति / देहे खणपरिहाणी, जं किर देवेहिं से कहिया // 28 // जइ ता लवसत्तमसुरविमाणवासी वि परिवडंति सुरा / चितिज्जंतं सेसं, संसारे सासयं कयरं? // 29 // कह तं भण्णइ सुक्खं ? सुचिरेण वि जस्स दुक्खमल्लिअइ / जं च मरणावसाणे, भवसंसाराणुबंधि च . उवएससहस्सेहि वि, बोहिज्जंतो न बुज्झइ कोई / जह बंभदत्तराया, उदायिनिवमारओ चेव / // 31 // गयकण्णचंचलाए, अपरिच्चत्ताएँ रायलच्छीए। जीवा सकम्मकलिमलभरियभरा तो पडंति अहे // 32 // वुत्तूण वि जीवाणं, सुदुक्कराइंति पावचरिआई। भयवं जा सा सा सा, पच्चाएसो हु इणमो ते // 33 // पडिवज्जिऊण दोसे, निअए सम्मं च पायवडिआए / तो किर मिगावईए, उप्पन्नं केवलं नाणं // 34 // किं सक्का वुत्तुं जे सरागधम्मम्मि कोइ अकसाओ?। जो पुण धरिज धणिअं, दुव्वयणुज्जालिए स मुणी // 35 // // 30 //

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