Book Title: Shasana Chatustrinshika
Author(s): Anantkirti, Darbarilal Kothiya
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 71
________________ शासन-चतुर्देिशिका eeeeeeeeeeeeeeeeee दक्षिण गोम्मटदेवकी महिमा और प्रभावका अच्छा परिचय मिलता है । विश्वसेन नृपद्वारा निष्कासित शान्तिजिन मदनीति और उदयकीतिके उल्लेखोंसे मालूम होता है कि विश्वसेन नामके किसी राजा द्वारा समुद्र से श्रीशान्ति जिनेश्वरकी प्रतिमा निकाली गई थी, जिसका यह अतिशय था कि उसके प्रभाव से लोगोंके क्षुद्र उपद्रव दूर होते थे और लोगोंको बड़ा सुख मिलता था। अद्यपि मदन कार्तिक उल्लेखसे यह ज्ञात नहीं होता कि शान्तिजिनेश्वरकी उक्त प्रतिमा कहाँ प्रकट हुई ? पर उदयकीतिक निर्देशसे' विदित होता है कि यह प्रतिमा मालपती में प्रकट हुई थी । मालवी सम्भवतः मालवाका ही नाम है । अस्तु । पुष्पपुर-पुष्पदन्त पुष्पपुर पटना विहार) का प्राचीन नाम है । संस्कृत साहित्यमें पटनाको पाटलिपुत्रके सिवाय कुसुमपुरके नामसे भी उल्लेखित किया गया है । अतएव पुष्पपुर पटनाका ही नामान्तर जान पड़ता है। मदनीतिके उल्लेखानुसार वहाँ श्रीपुष्पदन्त प्रभुकी सातिशय प्रतिमा भूगर्भसे निकली थी जिसकी व्यन्तरदेवों द्वारा बड़ी भक्तिसे पूजा की जाती थी। मदनकीर्तिके इस सामान्य परिचयोल्लेसके अलावा पुष्पपुरके श्रीपुष्पदन्तप्रभुके बारेमें अभीतक और कोई उल्लेख या परिचयादि प्राप्त नहीं हुआ। १ मालव संति वंदउ पवित्त, विससेणराय कहिन निरुत्त ।। २ देखो, 'विविधतीर्थकल्प' गत 'पाटलिपुत्रनगरकल्प' पृ० ६८ |

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