Book Title: Sharirik Mimansa Bhashye Part 01
Author(s): A V Narsimhacharya
Publisher: A V Narsimhacharya

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Page 20
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra सूत्राणि. शास्त्रदृष्ट्या तूपशास्त्रयोनित्वात्. शुगस्य तदनादर श्रवणाध्ययना श्रुतत्वाच्च. श्रुतोपनिषत्कग संस्कार परामर्शसमाकर्षात्· समाननामरूपसम्पत्तेरिति जै सम्भोगप्राप्तिरिति चेसर्वत्र प्रसिद्धोपसाक्षाच्चोभयाम्ना साच प्रशासनात्. साक्षादप्यविरोसुखविशिष्टाभिसुषुप्त्युत्क्रान्त्योर्भे सूक्ष्मं तु तदर्हत्वात्. स्थानादिव्यपस्थित्यदनाभ्यां च. स्मर्यमाणमनुमानं - स्मृतेश्व. स्मृतेश्व. स्वाप्ययात्. ह. पेक्षया म यत्वावचनाच्च. www.kobatirth.org अ-सं. पा. सं. सू-सं or or १ or on or or १ १ २ mom ४ ४ ४ ४ ४ ४ ४ ४ ४ mov ४ ४ mov ३१ १ v mm V ३ ३३ ३६ १५ २९ ३२ ३४२ ३४३ ३८ | ३३९ १२ १६५ १६९ १७ २५३ २५५ va १ १० २६ ३ २४ ३९ १० Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३३९ ३४२ ३७९ | ३८० ३२६ ३२८ २७५ २३८ २३९ २४२ २३० २३८ २४० २५ ४०३ ४०९ ४१० २९७ २९९ / ३०० २७३ | २७७ २७९ २५० २५५ २५६ ३४९ | ३५० ३५१ ३५६ | ३६१ | ३६३ २५४ २५६ २८५ | २८६ २७६ २७८ २४१ ३४४ १७१ शा-भा. वे सा. पु-सं. पु-सं For Private And Personal Use Only २२२ २२५ २२७ १३० १३८ १३८ ३३४ २५० २८४ वे दी. पु-सं २७१ २३६ | २३९ ३३९ ३४३ १६३ १६८ ३१९ १६२ ३४३ ३४४ १७२ २५६ ३४४ ३८१ ३३० २७७ २८० ३२० ३२० १६८ १७९

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