Book Title: Sharirik Mimansa Bhashye Part 01
Author(s): A V Narsimhacharya
Publisher: A V Narsimhacharya

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Page 19
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra सूत्राणि - प्रतिशासिद्धेर्लिङ्गमाप्रसिद्धेश्व. प्राणस्तथानुगमात्. प्राणादयो वाक्यशे भ. भावं तु बादरायणोभूतादिपादव्यपदेशो - भूमा संप्रसादध्युभेदव्यपदेशाच. भेदव्यपदेशाश्चान्यः. भेदव्यपदेशात्. मध्वादिष्वसम्भवादन महदूच. मावर्णिकमेव चमुक्तोपसृप्यव्यपदे म. य. योनिश्च हि गीयते. रूपोपन्यासाच्च. वदतीति चेन प्रावाक्यान्वयात्. विकारशब्दानेविरोधः कर्मणीविवक्षितगुणोपविशेषणभेदव्यप विशेषणाच. वैश्वानरस्साधा श. शब्द इति चेन्नाशब्दविशेषात्. शब्दादिभ्यो ऽन्तःशब्दादेव प्रमि - www.kobatirth.org अ-सं. पा-सं. सू.सं. १ or or 2 o or or or or or or १ १ १ १ १ ४ २० १६ २९ १२ ܘ mr or mo ३ ३ mem ४ ४ NAR له ده ر ~ V A ४१ ३२ V M ३३२ | ३३३ २७ २१६ २१८ ७ २८७ २९४ १८ १९४ १९७ २२ २०८ २०५ २०७ ४ २८३ २८५ २८६ २४ A or or o ३० ३३१ ३३३ ३३३ १६ ७ ३६० ३६२ ३६३ १९२ १९७ १९९ २८३ २८५ २८६ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २३ १२ २५ २८ ४०८ ४१० ४११ २६७ | २६८ २६९ २७ ५ २७ ४४ २३ For Private And Personal Use Only शा-भा. वे सा. | वे-दा. पु-सं. पु-सं. पु-सं. ३९३ ३९७ ३९८ ३०९ ३१५ ३१७ m २२५ २२५ ३७४ ३७५ २२६ ३७६ ३३४ २१९ २९५ २०० ३५८ ३८९ १९० २७२ ३१८ ३६१ ३६३ ३९७ ३९८ १९६ १९९ ३२३ ३२७ ३२९ २३४ २३८ २४१ २६४ २६८ २४४ २४७ २४९ २६९ | २७६ २६९ २७८ ३२४ ३२७ ३२९ २३६ २३९ २४१ २७७ | २७९ ३२० ३२०

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