Book Title: Sharirik Mimansa Bhashye Part 01
Author(s): A V Narsimhacharya
Publisher: A V Narsimhacharya

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Page 18
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra सूत्राणि. जीवमुख्यप्राणलिङ्गान्नेति चेनोपाज्योतिर्दर्शनात्. ज्योतिरुपक्रमातुज्योतिश्चरणाभिज्योतिषिभावाच्च. ज्योतिषैकेषामसज्ञेयत्वावचनाच्च. त. तत्तु समन्वयात्. तदधीनत्वादर्थवत्. तदभावनिर्धारणे च• तदुपर्यपि बादरायतद्धेतुव्यपदेशाच्च. तन्निष्ठस्य मोक्षोपत्रयाणामेव चैवमु द. दहर उत्तरेभ्यः. वाद्यायतनं स्व ध. धर्मोपपत्तेश्व. धृतेश्व महिम्नो न. न च स्मार्तमतद्धर्मान वक्तुरात्मोपदेशान संख्योपसंग्रहा नानुमानमतच्छ तरोऽनुपपत्तेः • प. पत्यादिशब्देभ्यः . परिणामात्. प्रकरणाच. प्रकरणात्. प्रकृतिश्च प्रतिज्ञाप्रतिज्ञा विरोधात्. www.kobatirth.org अ-सं. पा-सं. सू.सं. or o १ १ १ १ or or vv or or or or or ܡ ܡ ܗ ܘ ܡ ܗ ܀ ovom m m mm rav mov m or mov ३२ ४१ ९ o २५ m 5 or ३१ १३ ४ ४ ३ ७ ६ १३ or Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २५ १५ १९२ शा भा. वे सा. पु-सं. पु. सं. २२३ २२६ ३४६ || ३४६ ३६६ ३७० २१४ | २१५ ३३१ ३३३ ३७४ | ३७५ ३५८ ३६१ २३ १३९ १५८ ३५७ | ३६१ For Private And Personal Use Only ३३९ ३४३ ३२१ ३२७ १९७ १६२ | १६८ ३५९ ३६१ ३०४ ३१४ २८१ २८४ वे. दी. पु.सं. २२८ ३४७ ३७१ २१८ ३३४ ३७७ ३६३ १५८ ३६३ ३४४ ३२८ १९९ १७१ ३६३ ८ २९३ २९५ २९५ १५ ३०८ ३१४ ३१७ ३१६ २८५ २० २५९ २६१ २६२ ३० २२१ २२५ २२७ ११ ३७२ ३७५ ३७५ ३ २८३ २८५ २८६ १७ १९३ १९७ २०० ४४ ३४९ ३५१ ३५२ २७ ४०४ ४०९ ४११ १० २४३ २४७ २४८ २८४२८५ २८६ ३९९ ४०५ ४१० १६३ १६८ १७१

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