Book Title: Shantidas Virachit Gautamswami Ras Chaupai Author(s): Shilchandrasuri Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 5
________________ [55] सालू भेरव नई पांमरी, चीर पटोलां देसाउरी जरतारी वस्त्र पहेंरणई, गौतमना गुण जे नर भाई || वेढवांकलां नदुं (नई) सांकली, कंदोरा पहेंरई मनरूली कडी नवनां हीरई जड्यां, गौतमनांमई अंगई चढ्यां ॥ दार झूमणां झांझर झमकार, कांकण कांकणी अती हई सफार चाक चांदलो रूडो घड्यो, गौतमनांमई ते सीर चढ्यो || चूआ जबाद कस्तुरी फूल, अंबर अरगजानुं बहू मुल केसर चंदननां छांटणां, गौतमनांमई दीसई घणां ॥ ढोल तलाई मीसरूतणी, गालमसुरीआं चादर सुणी भला सेज करो आराम, सुखसाता लहइं गौतमनांम ॥ गज घोडां पायक पालखी, गौतमनांमई थाई सुखी रथ धोरी बेसी संचरई, गौतमध्यांन रिदयमां धरई ॥ पद्मद्रथी आवें वही, सीदेवी घरवासइं रही गौतमनामई थीर रहई सही, खरचंतां खुटई पीण नहीं ॥ विणज करतां नावइ खोट, गौतमनांमई सबली चोट लखेसरी कोटीस्वरीपणुं, गौतमनांमई दीसई घणुं ॥ वस्तु बहू प्रवहण भरई, भरदरीआमांहिं संचरई गौतमनांमई नहीं तोफांन, कुसलई ल्यावई बहूं नीधांन ॥ Jain Education International ३४ For Private & Personal Use Only ३५ ३६ ३७ ४० सुभ सकुन लहई जातां गांम, सुभ सूपनांतर गौतम नांम सुभ मुहूरत सुभ काजई मिलई, गौतमनामई अफलां फलई || वैरी मीत्र सरीखा थाय, गौतमनांमई प्रणमई पाय ना ( रा ) जा मांनई सहू को नमई, गौतमध्यान ऋदयमां रमई ॥ जी जी कार सहू को करई, बोल्युं वचन नवि पार्छु फीरई कीरतवेल पसरई जग बहूं, गौतमनांमई इछई सहूं ॥ ३८ ३९ ४१ ४२ ४३ ४४ ४५ www.jainelibrary.orgPage Navigation
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