Book Title: Shantidas Virachit Gautamswami Ras Chaupai
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 8
________________ ३/१ ११ / ३ १४ / २ १४/३ १५/१ १५/३ १६/१ २६/१ २६ / २ ४६ / ३ ४९/१ सुमत गुपत ५३/१ पद्मद्रह ४३/२ सीदेवी ४६ / ३ नवविध परिग्रह ६२ / १ ६२ / ३ तलीआं समोसरण त्रगडई अतिसय देसना जगनारंभ केवलपर्याय पंचम गति जेतो मेर केटिका सुगाल ईत Jain Education International [58] कठिन शब्दोनो कोश सुकाल — — w - - समिति (पांच) अने गुप्ति (ऋण); चर्यामां आवता पदार्थो तळियां-घरनां आंगणां तीर्थंकरनी धर्मदेशना - भूमि त्रिगडे-त्रण गढ़ना बनेला समोसरणमां तीर्थंकरनी विशिष्टता देशना यज्ञनो आरंभ केवल ज्ञानवाळी अवस्था मोक्ष पद्म सरोवर श्रीदेवी - प्रवचन जैन साधुनी लक्ष्मीदेवी धन-धान्य-क्षेत्र-वास्तु-रूपुं- सुवर्ण कुप्य द्विपदचतुष्पद - ए नव जातनो संग्रह मेरु जेटलो ईति - कुदरती आपत्तिओ-७ सातनी. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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