Book Title: Shaktayanacharya Vyakaranam
Author(s): Shaktayanacharya, Shambhunath Tripathi
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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________________ शाकायनव्याकरणम् कार्दम, शालूक, विवाह, फरीच, शिरोप, यवास, हिरण्य / इति पुष्करादिः / विभुक्तादेरण / / 3 / 3 / 15 / विमुगः, देवागुर, रक्षःगुर, उपसद्, परिसारक, वसु, भरत्, पक्षा, वयस्, हविर्धान, महिनो, तोमा, पूषन्, इडा, जरिन, विष्णु, महन् / इति विमुक्तादिः / घोपडादेचच / / 6 / 3 / 108 / / पोपप, धषद्, इपन्या, मातरिया, देवस्यत्वादे, घोराय, कृष्णोऽस्मा, खरेप्टा, देवीन्दीय, रोहण', अञ्चन, प्रतुरी, जवान, शान / इति घोपहादिः / - कोपबारेः / / 3 / 3 / 280 / / अणु, स्थूल, माप, पु, इछु, तिल, वाद्य, काल, प१, मूल, पत्रमूल कुमारो पुत्र, जुमारी, श्वसुर, भनपो, वञ्चत्, बृहत् / इत्यण्वादिः / आधादिभ्यः // 3 / 47|| आद्यादयः प्रयोगगम्याः / . देवादिभ्यः सप्तमी द्वितीयात् / / 14 / 63|| देवादयः शिष्भ्य ऽवगतभ्याः। नादिः कपोऽच्छिन्नादिभ्यः / / 3 / 4 / 72/1 दियः प्रपोगगम्याः / कुमारीकीडने योऽव्यादिभ्यः ||3|4|116|| अनि, पाव, मणि, दस्यि, पोत, स्तव्य, जात, अज्ञात, पृथ्य, नित्य, सत्यत्, दशाई, वयर / इत्यादिसतिगा। मादिभ्यो यः // 34 // 989 / / मादयः प्रयोग गावाः / प्रमादिगा ||365.:, राशि का प्रत्यक्षा, वितस् , विस्त, पोटत, बिया, जलत, चिकागत. बम, रस्त, सत्वत, दशाई. पुन, घर , अगर, रक्षाम, प, धोर, योघ, चक्षुर, पिशाच, अशनि, कपि, देवता, बन्धु, बगुजावर, अनुपूक, चतुःप्राश्य, रक्षोस्त, विधात्, विकृत, परस्कृत, अनारणो, अग्रहायणी, सम्म इति प्रमादिराति गगः / तानोधी माग्नीधा वा शाला। साधारणी, साधारणा वा भूमिरित्यादि तिद्धन् / धिनयादिभ्यः ||3136 / / विनय, समय, सनात, कश्चित्, करमात्, उपचार, समाचार, व्यवहार, सम्प्रदान, समुस्कार्प, संग्राग, रागृह, विशेष, अन्यय 1 इति विनयादिसतिगणः / दामनीयौधेयपादिकाच्छमाण देन्यण ||3|4|145|| दामो, टोपी, पैजवापि, औदकि, आच्युतन्ति, काकन्टि, शाभुन्न प, चाव सेनि, विदुतुलभ, मजायन, सावित्रीपुत्र, कापडापरथ, दण्डिकी, जालमानि, ब्रह्मगुप्त, जानकि / इनि दामन्यादिः / यौधयादिभर्गाद्यन्तणः / / - पशु, रक्षर, असुर, बल्लोक, वयस् , वसु, मात्, सत्यत्, बदाई, पिशाच, अशानि, काणापण / इति पवादिः / भृशादेवी स्तः / / 4 / 1 / 26 / / भृश, शौच, चपल, पण्डित, उरमुक, उन्ननस् , अभिमनस्, सुमनरा, टुमनस्', वर्चस्, रोग, हत्, यह, रेपान. संदचा, नरान्, शुचि, अण्डर, मील, वध्र, मन, हरित, मन / इति भूशादिः / सुखादेमुजि ||4|13|| मुख, दुरा, सून, मह, अस, अतीक अहण, कृपण, साप, प्रतीप / इति गुप्ताभिः / शब्दाः कृञ्चि वा / / 8 / 1138|| पशब्द, पैर, ज.लह, अन्न, ना, ने, सुदिन, दुर्दिन, नोहार, अटा, अट्टा, अटाटया, शोका, कोटा, पोटः, शोका, गोटा, प्रशा, दीर्घ, बैग, बुद्ध / इति शब्दादिः /

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