Book Title: Shadjiv Nikay Suraksha hi Paryavaran Suraksha
Author(s): Dharmchand Muni
Publisher: Z_Mohanlal_Banthiya_Smruti_Granth_012059.pdf

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Page 2
________________ स्वः मोहनलाल बाठिया स्मृति ग्रन्थ उजड़ जाएगा। परिणाम आया-प्रथम पौधा लहलहा उठा, खूब फला फूला, जबकि दूसरा उभरने से पहले ही मुरझा गया । डा. वेकस्टर ने स्थापना की -वनस्पति में बहुत शक्तिशाली संवेदना होती हैं, भावी को सूक्ष्मता से पकड़ सकती है। वह प्रयोग कर रहा था कि-अंगुली कट गई, खून रिसने लगा। उसी क्षण पौधे पर लगे गेल्वोनोमीटर की सूई घूमी, पौधे ने व्यथा अंकित कर सहानुभूति प्रदर्शित की। दूसरे प्रयोग में वट वृक्ष पर पोलीग्राफ लगा दिया। माली आया, वृक्ष ने कोई प्रतिक्रिया नहीं की, न कंपन हुआ, न सूई धूमी। किन्तु जैसे ही कुल्हाड़ी लेकर लकड़हारा आया कि सारा वृक्ष कांप उठा, सूई घूमने लगी, भय का अंकन हो गया। वृक्ष ने पोषणदाता माली तथा काटने वाले लकड़हारे को पहचान लिया। इस प्रकार के अनेक वैज्ञानिक प्रमाण जहां वृक्षों की संवेदनशीलता को प्रकट करते हैं, वहां उनकी प्रदूषण निवारक क्षमता और जीवनोपयोगी पदार्थ प्रदायक उपकारकता भी निर्विवाद है। जीवन एक सार्थक शब्द है जी-वन-इंगित कर रहा है -सुखी स्वस्थ जीना है तो वनों के लिए दो गुना अवकाश छोड़ दें। विश्वशांति की कामना कारक यजुर्वेद के एक मंत्र में जीवन-पानी-प्रदायक नदियों-जलाशयों, पृथ्वी, वायु तथा वनस्पतियों-वृक्षों की शान्ति-सुरक्षा का विशेष उल्लेख है। जैनागम का “तण रूक्खं न छिदेज्जा" तृण-वृक्षों का छेदन मत करो, इस ओर संकेत है। चूंकि वनों-वृक्षों से ही फल-फूल-छाया, खाद्यान्न, कागज, वस्त्र आदि जीवनावश्यक चीजें प्राप्त होती हैं। जड़ी-बूटियों का अचिन्त्य प्रभाव स्वयंसिद्ध है। वन बरसात में सहयोगी बनते हैं और बाढ़ को रोकते हैं। वर्षा के तीव्र वेग में मिट्टी गीली होकर कट-कट कर बह जाती है, पानी का बहाव कम होने पर मिट्टी जमजमकर नदी-नालों को गहरा कर देती है, जिससे बाढ़ आती है। वृक्षों की सघनता में बरसात की सघन बूंदे उन पर गिरकर घरती पर उतरती है, नीचे पेड़ पत्तों की चादर जल सोखने का काम करती है, पत्तों की खाद पानी को चूस लेती है, फिर शनैः शनैः छोड़ती रहती है। पेड़ों का जड़ों के रास्ते पानी जमीन में नीचे तक चला जाता है। वृक्ष कार्बन लेकर प्राणवायु देते हैं। पर्यावरण - जल, मिट्टी, हवा को शुद्ध बनाये रखते हैं। - एक सर्वेक्षण के अनुसार एक हेक्टर भूमि के पेड़ प्रतिदिन ३ टन कार्बन-डाइ-ऑक्साइड लेते हैं। बदले में दो टन आक्सीजन देते हैं। एक पत्ता २४ घंटों में २०० ग्राम आक्सीजन बनाता है। लगभग २५ वर्गफुट (२.३२ वर्गमीटर) क्षेत्रफल के बराबर हरी पत्तियां २४ घंटे में इतनी प्राणवायु पैदा करती है, जितनी एक व्यक्ति के लिए Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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