Book Title: Shaddarshan Darpanam
Author(s): Vijaysushilsuri
Publisher: Gyanopasak Samiti

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Page 163
________________ ( ४ ) है शिल्प कला प्रेमी ! शिल्प कला के आप अनन्य उपासक रहे हैं। श्री जैसलमेर तीर्थ, कापरडाजो तीर्थ, मुछाला महावीर तीर्थ, बामणवाडजी तीर्थ, जावाल में श्री महावीर कीनिस्तम्भ, नाडोल में सिद्धचक्र मन्दिर, पावापुरी मन्दिर व खीमेल में भी पावापुरी मन्दिर, पाली में भव्य मन्दिर आपके शिल्प प्रेमी होने का परिचय देते हैं। आप श्री ने राजस्थान में करीब ३२ प्रतिष्ठाये, ११ उपरान्त छरीपाल संघ कराये हैं। हे शासन रत्न ! आज आपको शासन रत्न की उपाधि से विभूषित कर समाज ने अपने आपको धन्य माना है । हम जोधपुर श्री जैन संघ के लोग श्रद्धा के साथ आपके समक्ष नमन करते हैं। हमारा कौटिश: वन्दन हो। अन्त में ___आपसे सादर सविनय विनती है कि इस शुष्क भूमि में विचरण कर अपने सदुपदेशों से धर्म सरिता की बाढ़ लाकर इसे नव पल्लवित करें। शासन देव आपको दीर्घायु करें। स्थान-जोधपुर (क्रिया भवन) श्री वीर सं० २५०२ विक्रम सं० २०३२ मार्गशीर्ष शुक्ल ११ मौन एकादशी, हम हैं आपके अभिनन्दनकर्ता रविवार-दिनांक १४-१२-७५। श्री जैन संघ, जोधपुर (राज.) 3599999999999

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