Book Title: Shabda Prayogoni Pagdandi Author(s): H C Bhayani Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 2
________________ ज्यारे संदेशो मोकले छे, त्यारे बप्पभट्टिसूरि तेना प्रत्युत्तर रूपे जे गाधाओ मोकले छे, तेमां एक अपभ्रंश दोहा नीचे प्रमाणे छे : हंसा जहिं गय तहिं जि गय, महिमंडणा हवंति । छेहउ ताहं महासरहं, जे हंसेर्हि मुच्चति ॥ अर्थ : 'हंसो ज्यां पण जाय छे त्यां तेओ धरतीने शोभावे छे. हानि तो ते महान सरोवरने थाय छे जेने हंसो छोडी जाय छे.' (आ एक अन्योक्ति छे.) आ ज दोहा गणपति कृत 'माधवानल कामकंदला प्रबंध'मां (ई.स. १५२८) नजीवा पाठांतरे उद्धृत थयो छे (३, ९१). त्यां 'छेहउ'ने बदले पाछळनुं रूपांतर 'छेह' मळे छे. हेमचंद्राचार्यना 'सिद्धहेम'मां उदाहरण तरीके आपेल एक दोहामां (८४- ३९०) 'तं छेअउ नहु लाहु ( = ए तो हानि छे. लाभ नथी') ए प्रमाणे 'छेअ - ' शब्द 'न्यूनता, हानि'ना अर्थमां मळे छे. 'तूटवुं' अने 'तोटो' साधे 'छिंदइ' अने 'छेअउ' सरखावतां 'हानि, न्यूनता' एवं अर्थपरिवर्तन समजी शकाशे. 'छेअ- 'मां हकारनो आगम थतां 'छेह' एवं रूप थयुं छे. 'छेअ-' शब्द 'छेडो' एवा अर्थमां देश्य शब्द तरीके हेमचंद्राचार्ये 'देशीनाममाला' मां (३, ३८) आप्यो छे. आ अर्थ 'छेक', 'छेडो', 'छेल्लुं', 'छेवाडो' अने 'छेवट' ए गुजराती शब्दोमां जळवायो छे. सं. 'छेद' - प्रा. छेअ+क्क, गुज. छेक (सरखावो सं. स्थित-, प्रा. ठिअ+क्क, गुज. ठीक). सं. छेद-, प्रा. छेअ-, अप. छेह+डउ, गुज. छेडो. सं. छेद- प्रा. छेअ-, गुज. छेअ-, छेह + इल्लउं छेहिल्लउं, छेल्लुं. छेदपाटक-, छेअवाडअ-, छेवाडुं ('अगवाडुं', 'पछवाडुं', 'मुवाडुं', अने 'छेवाडुं' मां मूळ 'पाटक' पुंल्लिंगने बदले नपुंसकलिंग छे, 'पाडो', 'वाडो'मां मूळ प्रमाणे पुंलिंग छे.) सं. छेदपृष्ठ-, प्रा. छेअउट्ठ, गुज. छेउठ, छवट ए रीते उक्त शब्दोनुं रूपपरिवर्तन समजावी शकाय . Jain Education International [40] For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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