Book Title: Shabda Prayogoni Pagdandi Author(s): H C Bhayani Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 8
________________ दौलेय 'काचबो' अने दुली 'काचबी' ए संस्कृत शब्दो तरीके आप्या छे. प्राकृतकोशमा डुली एवं शब्दरूप पण मळे छे. दुली अने डुली शब्दनो प्रयोग 'उपदेशपद'मां थयो होवानुं नोंध्यु छे. आ शब्दनो प्रयोग इसवीसन पूर्वे त्रीजी शताब्दी जेटलो तो जूनो छे ज. अशोकना तेना राज्याभिषेकना २६मा वरसे कोतसवेला स्तंभलेखोमां (रामपूर्वा, राधिआ, माथिआ) आपेल पांचमा धर्मशासनमा जे प्राणीओने अवध्य गणवानो आदेश आप्यो छे तेमनी सूचिमां दुडि (के दुळि) नो पण निर्देश मळे छे. अने अशोकलेखोना निष्णातोए तेनो 'मीठा जळनो नानो काचबो' एवो अर्थ को छे, गुज. शेळो हेमचंद्राचार्यकृत 'अभिधान-चिन्तामणि'मां शल्य, शलल, शल्यक अने श्वाविध् ए शब्दो 'साहुडी' के 'शेढी, शेढाळी'ना अर्थमा आपेला छे. साहुडी अने शेळो बने कांटवाळ प्राणी होईने तेमना वाचक शब्दोना अर्थ वच्चे गोयळो थवो स्वाभाविक छे. सं. जाहक, प्रा. जाहग शेळानो वाचक छे, पण प्राकृत कोशमां तेनो 'साहुडी' एवो अर्थ अपायो छे. शललः के तेनुं स्वार्थिक क वाळु रूप शललकः. तेमाथी लगोलग रहेला बे लकारमाथी पहेलानो लोप थतां प्राकृत भूमिकाए सयलओ एवं रूप सिद्ध थाय. लगोलग रहेला बे र के ण मांथी पहेलानो लोप करवानुं वलण नीचेनां दृष्टांतोमा प्रतीत थाय छे : सं. करीर, प्रा, कईर, गुज. केरडो. सं. शरीर, प्रा. सईर, गुज. सयर. सं. पंचानन, प्रा. पंचायण, जू. गुज. पंचायण. आ वलण अनुसार थयेल सयलओ उपरथी पछी सयलउ अने शेळो बन्या. एकारने प्रभावे स् तालव्य बन्यो. (९) सिऊरा मोहनलाल दलीचंद देशाईना 'जैन साहित्यनो संक्षिप्त इतिहास मां (पृ. ५५६, कंडिका ११) नोंध्युं छे के बादशाह अकबरना जीवन अने कार्यने [46] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 6 7 8 9