Book Title: Savruttik Aagam Sootraani 1 Part 34 Dashvaikalik Mool evam Vrutti
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Vardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana

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Page 12
________________ आगम (४२) [भाग-३४] “दशवैकालिक”- मूलसूत्र-३ (मूलं+नियुक्ति:+|भाष्य+वृत्ति:) अध्ययनं [-], उद्देशक [-], मूलं [-1/गाथा ||-II, नियुक्ति: [-], भाष्यं [-] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र[४२श,मूलसूत्रा३] दशवैकालिक मूलं एवं हरिभद्रसूरिविरचिता वृत्ति: 55 श्रेष्ठिदेवचन्द्रलालभाइ-जैनघुस्तकोद्धारे ग्रन्थाङ्कः ॥अहम् ॥ श्रीमद्भद्रबाहुविरचितनियुक्तियुतं । श्रीमच्छय्यम्भवसूरिवर्यविहितं । श्रीहरिभद्रसूरिकृतबृहवृत्तियुतं । श्रीदशवैकालिकम् । ॐॐॐE जयति विजितान्यतेजाः सुरासुराधीशसेवितः श्रीमान् । विमलनासविरहितस्बिलोकचिन्तामणिर्वीरः ॥ १॥ इहार्थतोऽर्हत्मणीतस्य सूत्रतो गणधरोपनिबद्धपूर्वगतोद्धृतस्य शारीरमानसादिकटुकदुःखसंतानविनाशहेतोदेशकालिकाभिधानस्य शास्त्रस्यातिसूक्ष्ममहार्यगोचरस्य व्याख्या प्रस्तूयते-तत्र प्रस्तुतार्थप्रचिकटविषयैवेष्ट-12 देवतानमस्कारद्वारेणाशेषविविनायकापोहसमर्थी परममङ्गलालयामिमा प्रतिज्ञागाधामाह नियुक्तिकार: JaElications वृत्तिकार-कृत् मंगलम् एवं सूत्र-प्रस्तावना ~ 12~

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