Book Title: Satikachatvar Karmgrantha
Author(s): Chaturvijay
Publisher: Jain Atmanand Sabha

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Page 10
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रस्तावना । कर्मग्रन्थोनुं प्रकाशन. अमारं नवीन संस्करण-प्रस्तुत सटीक चार कर्मग्रन्थोनी बे आवृत्तिओ थई चूकी छे. प्रथम आवृत्ति भावनगर जैनधर्मप्रसारकसभाए मुंबई निर्णयसागर प्रेसमां प्रत आकारे छपावीने प्रसिद्ध करी हती. तेनुं संपादन पं० श्रीमान आनन्दसागरगणिए कर्यु हतुं. अने तेम करी कर्मग्रन्थना जिज्ञासुओनी जिज्ञासाने सौ पहेलां तेओश्रीए ज पूर्ण करी हती. त्यार बाद केटलांएक वर्ष वीत्या पछी प्रथम आवृत्तिनी नक्कलो न मळवाने लीधे बीजी आवृत्तिनुं संपादन प्रत आकारे ज पं० श्रीयुत प्रतापविजयजीए मुक्तिकमलमोहनजैनग्रन्थमाला तरफथी कर्यु हतुं. आ रीते आ कर्मग्रन्थोनी बे आवृत्तिओ थई जवा छतां आजे तेनी एक पण नक्कल नहि मळी शकवाने कारणे, तेम ज केटलाएक कर्मग्रन्थना अभ्यासीओनी नवीन संस्करणमाटेनी सूचनाने ध्यानमा लई अमे आ त्रीजुं संस्करण हाथ धयुं छे. अमारा संस्करणनी विशेषता-पहेली आवृत्तिना संपादनमां शुद्धिपत्रक आपवा छतां तेमा घणीए विशिष्ट अशुद्धिओ रही गयेली, जेनुं शुद्धिपत्रक केटलाक समय पहेलो भावनगर जैनधर्मप्रसारकसभाए. ज बहार पाडेलु, तेम छतां य केटलीए विशिष्ट अशुद्धिओ रही जवा पामी हती. बीजा संस्करणमां पण उपरोक्त अशुद्धिओर्नु संशोधन थई शक्युं नथी. ए बधीए अशुद्धिओनुं संशोधन अमे अमारी प्रस्तुत आवृत्तिमां सावधानपणे करवा बनतो प्रयत्न कर्यो छे. २ प्रस्तुत ग्रन्थना संपादनमां अमे बे प्राचीन ताडपत्रीय प्रतो अने त्रण प्राचीन कागळनी प्रतोनो उपयोग करी एवें संशोधन घणी ज प्रामाणिक रीते कर्यु छे, अने साथे साथे केटलाक विशिष्ट पाठभेदो पण आप्या छे. ३ प्रथमनी बे आवृत्तिओमां टीकाने सळंग रीते छापवामां आवी छे, ज्यारे आ आवृत्तिमा ठेकठेकाणे पेरेग्राफ पाडी ते ते विषयोने छूटा पाडवामां आव्या छे. ४ टीकाकारे ठेकठेकाणे प्रमाण तरीके जे अनेक शास्त्रीय पाठो उद्धर्या छे ए बधा कया ग्रन्थना छे ए शोधीने ज्यां सुधी मेळवी शक्या त्यां सुधी ते ते ग्रन्थनां मूळ स्थळोने नोंधवा यत्न कर्यों छे. अने ते ते मूळ ग्रन्थ साथे सरखावतां जे पाठभेदो जणाया छे तेने अमे टिप्पणमा आप्या छे. आथी अमे कर्मग्रन्थना अभ्यासीओने ते ते ग्रन्थमा रहेला कर्मग्रन्थविषयक विविध विचारोने अवगाहवानी सुगमता करी आपी छे. ५ टीकामां जे ग्रन्थ अने ग्रन्थकार विगेरेनां नामो आवे छे ए वाचकोना लक्ष्यमां एकदम आवे ते माटे ते नामो अमे स्थूलाक्षर( ब्लॅक टाइप )मा आप्यां छे.. For Private and Personal Use Only

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