Book Title: Saptadalam Lekhakmalam Ek Sanskrut Patra Author(s): Shilchandrasuri Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 3
________________ 73 आ विशेषणो ए ज पत्रनुं हार्द छे. ते पूर्ण थतां ज आवे छे वृत्तान्तनिवेदनः जेमां पोते पांच साधुओनी कुशलतानुं तथा गुरुजीना सांनिध्यमांथी नीकळ्या बाद सुखपूर्वक बोरसंद पहोंच्यानी वात जणाववापूर्वक, चातुर्मास माटे खंभात, छाणी, भरूच, झगडिया इत्यादि क्षेत्रोना श्रावक-संघोनी विनंति होई पोते क्यां चातुर्मास करवू ते माटे गुरुदेवनी आज्ञानी अपेक्षा व्यक्त करवामां आवी छे. प्रांते वळी बे पद्य छे, अने त्यां पत्र समाप्त थाय छे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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