Book Title: Sapta Bhashi Atmasiddhi
Author(s): Shrimad Rajchandra, Pratapkumar J Toliiya, Sumitra Tolia
Publisher: Jina Bharati Bangalore

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Page 221
________________ (७) सप्तभाषी आत्मसिद्धि 177 SAPTABHASHI ATMASIDDHI • 'SHIVKUL' DALHOUSIE, HIMACHAL PRADESH 176304. PHONE: 2262 • 'SHIVKUTI MOUNT ABU, RAJASTHAN 307 501. PHONE : 3154 VIMALA THAKAR १५ ऑगस्ट १९९६ प्रिय भाई प्रतापजी, गई काले सप्तभाषी आत्मसिद्धि अंगेना कागळिया मळ्या. खूब ज सन्तोष अनुभव्यो. तमोए घणो श्रम करीने अनुवाद कराव्या! शाब्बाश ! मराठी अनुवाद खरेखर सारो छे. व्याकरणनी जे भूलो तमारी नजरे चढी ते गद्यनी दृष्टिए बराबर गणाय पण पद्यमां अने ते पण गेय पद्यमा ह्रस्व - दीर्घ, लघु - गुरू ने बधा नियमो लागू नथी पडता एवो ख्याल छे. एटले हुं तो मूळ लखाण राखवानी हिंमत करीश. छतांय तमोने जे उचित लागे ते करशो जी. स्नेहादर साथे बहेनना, विमल आशिष २८ ऑगस्ट १९९६ प्रिय भाई प्रतापजी, पत्र मिला । सप्तभाषी आत्मसिद्धि तैयार करना एवं छपवाना यह आपके जीवन की सर्वोच्च सिद्धि है । गुजरात के राजचन्द्र आश्रमों को जो करना चाहिए था, जो अनका दायित्व था, वह उन्होंने नहीं किया । आपके हाथों यह कार्य हुआ। शायद श्रीमद् राजचन्द्र का अनुग्रह आप दोनोंपर उतरा है। मराठी अनुवाद देख गई । काव्य रचना की दृष्टि से मुझे निर्दोष प्रतीत होता है। दीदी के स्नेहभरे - विमल आशीष माणसाला •जिनभारती JINA-BHARATI. Jain Education Intemational 2010_04 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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