Book Title: Sanskrit Vyakaran Me Karak Tattvanushilan
Author(s): Umashankar Sharma
Publisher: Chaukhamba Surbharti Prakashan
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सहायक ग्रन्थावली
३२१ धर्मराजाध्वरीन्द्र-वेदान्त-परिभाषा ( अंग्रेजी अनु० सहित ); माधवानन्द कृत अनु०
रामकृष्ण मठ, बेलूर ( १९६३ )। नागेश-(१) परमलघुमञ्जूषा ( कालिकाप्रसाद शुक्ल कृत ज्योत्स्ना सहित, बड़ोदा
संस्कृत महाविद्यालय ( १९६१ )। पं० वंशीधर मिश्र कृत वंशी-टीका तथा हिन्दीअनु०, गया ( १९५७ ) । अर्थदीपिका-सहित, चौखम्बा ( १९४६ ) । (२) लघुमञ्जूषा ( कला-कुञ्जिका सहित ), चौखम्बा ( १९१७-१९२८)। ( ३ ) परिभाषेन्दुशेखर-वैद्यनाथकृत 'गदा'-सहित, आनन्दाश्रम, पूना ( १९१३ ) । कीलहॉर्न का अंग्रेजी अनुवाद, बम्बई। ( ४ ) बृहच्छब्देन्दुशेखर ( सं० डॉ० सीतारामशास्त्री ), वाराणसेय संस्कृत
वि० वि० ( १९६० ), ३ खण्ड । पतञ्जलि-महाभाष्य ( कैयटकृत प्रदीप तथा इस पर नागेशकृत उद्योत सहित ),
निर्णयसागर प्रेस, बम्बई ( १९५१ ), १-६ अध्याय तक। ७-८ अध्याय,
गुरुकुल झज्झर ( हरियाणा, १९६२ )। पाणिनि-अष्टाध्यायी ( वामनजयादित्य की काशिका-सहित ), चौखम्बा, तृतीय
संस्करण ( १९५२ )। पार्थसारथिमिश्र-शास्त्रदीपिका, सं० धर्मदत्तमूरि, निर्णयसागर प्रेस, बम्बई
( १९१५ )। पुरुषोत्तमदेव-परिभाषावृत्ति, ज्ञापकसमुच्चय तथा कारकचक्र; सं०-दीनेशचन्द्र
भट्टाचार्य, वारेन्द्र रिसर्च म्युजियम, राजशाही ( १९४६ ) । बादरायण-ब्रह्मसूत्र ( शांकरभाष्य-भामती, कल्पतरु, परिमल सहित ) निर्णय
सागर प्रेस ( १९३८ )। भट्टोजिदीक्षित-(१) वैयाकरणसिद्धान्तकौमुदी, तत्त्वबोधिनी ( ज्ञानेन्द्र सरस्वती )
तथा लघुशब्देन्दुशेखर ( नागेश ) सहित; सं०-गुरुप्रसाद शास्त्री, काशी ( १९३९ ), भाग-१ । ( तीनों ग्रन्थों के उद्धरण तथा पृष्ठ संख्या इसी संस्करण से दिये गये हैं)। ( २ ) शब्दकौस्तुभ ( भाग-२), गोपालशास्त्री नेने संपादित, चौखम्बा ( १९२९ )। ( ३ ) प्रौढमनोरमा-शब्दरत्न तथा उस पर ज्योत्स्ना-सहित, चौखम्बा
( १९३४ )। भरतमल्लिक---कारकोल्लास, संस्कृतसाहित्यपरिषद्, कलकत्ता ( १९२४ )। भर्तहरि-वाक्यपदीय ( १ ) सम्पूर्ण, सात परिशिष्टों के साथ, सं०-अभ्यंकर तथा
लिमये, पूना ( १९६५ ) । ( २ ) तृतीय काण्ड (१-७ समुद्देश ), हेलाराज की टीका सहित, सं०-को० अ० सु० ऐयर, पूना ( १९६३ )। ( ३ ) तृतीय काण्ड ( ८-१४ समुद्देश ), हेलाराज-सहित, चौखम्बा ( १९२० )। ( ४ )

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