Book Title: Sanskrit Prakrit Hindi Evam English Shabdakosh Part 03
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: New Bharatiya Book Corporation
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संस्कृत-प्राकृत-हिन्दी एवं अंग्रेजी शब्द कोश
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खेट, खेड, जो नदी और पर्वत से घिरा हो ऐसा ग्राम,
a village age the foot of mountain and river.
ग
ligious book, who saying of three
world. कल्प, कप्पो, उत्सर्पिणी और अवसर्पिणी को मिलाकर
बीस कोड़ा-कोड़ी सागर का एक कल्प काल होता है, a kind of time who name of
kalpa. कल्पपादप, कप्पपादवो, कल्पवृक्ष, जिससे मनचाही
वस्तुएं मिलती हैं। a kind of tree, who
gives any things. कामदेव, कामदेव पद का धारक (कल 24 कामदेव
होते हैं)। कायगुप्ति, कायगुत्ति, काय-शरीर को वश में करना,
controlling of body. कायबलिन्, कायबलि, कायबल ऋद्धि के धारक,
getter of body power. काल, कालो, वर्तना लक्षण से युक्त एक द्रव्य। एक
प्रदेशी, घड़ी, घण्टा, दिन सप्ताह आदि, time
turning. किल्विषिक,किव्विसिग, देवों का एक भेद,akind
of deity. कुमुद, कुमुद, संख्या का एक भेद, a kind of
number. केवली, केवली, ज्ञानावरण कर्म के क्षय से प्रकट
होने वाला पूर्णज्ञान जिन्हें प्राप्त हो चुका है। उन्हें अहरन्तसर्वज्ञ अथवा जिनेन्द्र भी कहते हैं,
full knowledgeful. केशव, केसवो, नारायण, ये नौ होते हैं,akind of
Narayana कोष्ठबुद्धि, कोट्ठबुद्धि, कोष्ठबुद्धि ऋद्धि के धारक,a
kind of knowledge.
गणधर, गणहर, तीर्थकरों के समवसरण में रहने वाले
विशिष्ट मुनि, ये चार ज्ञान के धारक होते हैं,
getter of knowledge. गुणवत, गुणव्वद, जो अणुव्रती का उपकार करें। ये
तीन हैं, दिग्व्रत, देशव्रत और अनर्थदण्डव्रत, कोई-कोई आचार्य भोगोपभोग। परिमाण को गुणव्रत और देशव्रत को शिक्षा व्रत में शामिल
करते हैं, a kind of vratas. गुणस्थान, गुणवाण, मोह और योग के निमित्त से
उत्पन्न आत्मा के भावों को गुणस्थन कहते हैं, वे 14 हैं- 1. मिथ्यादृष्टि, 2. सासादन, 3. मिश्र, 4. अविरत सम्यग्दृष्टि, 5. देशविरत, 6. प्रमत्तसंयत, 7. अप्रमत्तसंयत, 8. अपूर्वकरण, 9. अनिवृत्तिकरण, 10. सूक्ष्मसाम्पराय, 11. उपशान्त मोह, 12. क्षीणमोह, 13. सयोग केवली, 14. अयोगकेवली, place of good soul
attachment and yoga. गृहांग, गिहंग, वह बस्ती जो बाड़ से घिरी हुई हो और
जिसमें अधिक तर शूद्र और किसान लोग रहते हों। बगीचा तथा तालाब हों, a village of foot point and garden.
घ
घातिकर्म, घादिकम्म, ज्ञानावरण, दर्शनावरण, मोह
और अन्तराय ये चार कर्म घातिया कहलाते हैं, क्षीरसाविन, खीरसावि, क्षीरस्राविणी ऋद्धि के धारक, .
kind of karmas. a kind of Ridhi.
घोष, घोस, जहाँ अहीर रहते हैं,aplace. क्षेत्र, खेत, लोक, world. वेल,खेल, एक ऋद्धि,akind of ridhi.
च
ख
खर्वट, खव्वड, जो सिर्फ पर्वत से घिरा हो ऐसा ग्राम,
a village, at the foot of a mountain.
चक्रवर्ती, चक्कवट्टी,चक्ररत्नका स्वामी,राजाधिराज।
ये 12 होते हैं तथा भरत ऐरावत और विदेह क्षेत्र के छह खण्डों के स्वामी होते हैं, super power man of whole world.
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