Book Title: Sanskrit Prakrit Hastlikhit Grantho Ki Suchi
Author(s): Chandika Prasad Shukla and Others
Publisher: Hindi Sahitya Sammelan

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Page 4
________________ प्रकाशकीय ०० हिन्दी साहित्य सम्मेलन एक राष्ट्रीय संस्था है। इसके उद्देश्यों में से एक उद्देश्य है सम्मेलन द्वारा एक बृहत् संग्रहालय स्थापित करके उसमें हस्तलिखित और मुद्रित ग्रन्थों तथा साहित्य-निर्माताओं के परिचय-पत्रों, चित्रों तथा स्मृति चिह्नों का संग्रह किया जाय और अनुसंधानकर्त्ताओं को अध्ययन और अनुशीलन करने की सुविधा दी जाय। इसकी पूर्ति के लिए सम्मेलन कार्यालय के प्रांगण में एक हिन्दी - संग्रहालय की स्थापना की गई जिसका उद्घाटन विश्ववंद्य महात्मा गांधीजी ने ५ अप्रैल, १९३६ ई० को किया था । इस संग्रहालय में हस्तलिखित ग्रन्थों का संग्रह सम्मेलन ने अपने साहित्यान्वेषकों के माध्यम से प्रारम्भ किया। कुछ वर्षों के पश्चात् अमेठी राज्य के राजकुमार रणञ्जय सिंह जी ने अपने अग्रज स्वर्गीय राजकुमार रणवीर सिंह जी की स्मृति में संस्कृत और हिन्दी के हस्तलिखित ग्रन्थों का निजी संग्रह भेंट स्वरूप सम्मेलन को प्रदान किया। सम्मेलन के द्वारा संग्रहीत हस्तलिखित ग्रन्थों को भी इस संग्रह में मिला कर राजकुमार रणवीर सिंह जी की स्मृति में 'रणवीर कक्ष' स्थापित करके उसमें विधिपूर्वक व्यवस्थित किया गया। इसकी सूची सम्मेलन द्वारा 'पाण्डुलिपियाँ' नामक ग्रन्थ के रूप में सं० २०१४ वि० में प्रकाशित की गई । सन् १९६३ ई० में ग्वालियर निवासी श्री सूरजराज धारीवाल जी ने अपना बहुमूल्य एवं महत्त्वपूर्ण हस्तलिखित ग्रन्थ संग्रह सम्मेलन के संग्रहालय को भेंट स्वरूप प्रदान किया। इस संग्रह को श्री धारीवाल जी और उनकी धर्मपत्नी श्रीमती सुभद्रादेवी के संयुक्त नाम से 'सूरज - सुभद्रा कक्ष' में सुव्यवस्थित करके रखा गया है। 'रणवीर कक्ष' और 'सूरज-सुभद्रा कक्ष' इन दोनों कक्षों में सुव्यवस्थित हस्तलिखित ग्रन्थों की संख्या लगभग ८५०० है । इस सम्पूर्ण संग्रह के हिन्दी के हस्तलिखित ग्रन्थों की विवरणात्मक सूची सन् १९७९ ई० में शिक्षा मंत्रालय के वित्तीय अनुदान से सम्मेलन द्वारा प्रकाशित हुई थी। उसमें हिन्दी के २८०२ ग्रन्थों का विवरण प्रस्तुत किया गया है। इसी क्रम में संस्कृत एवं प्राकृत भाषा के हस्तलिखित ग्रन्थों की विवरणात्मक सूची का यह प्रथम खण्ड भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के वित्तीय अनुदान से प्रकाशित किया जा रहा है। मुझे पूर्ण विश्वास है - इसका द्वितीय खण्ड भी निकट भविष्य में पाठकों की सेवा में प्रस्तुत किया जायगा । केन्द्रीय सरकार के शिक्षा विभाग के अधिकारियों के प्रति सम्मेलन की ओर से मैं आभार प्रकट करता हूँ जिनकी कृपा से वित्तीय सहायता मिलने पर इस ग्रन्थ-सूची का प्रकाशन सम्भव हो सका है। जिन ग्रन्थ-स्वामियों ने अपने हस्तलिखित ग्रन्थों को संग्रहालय को दान दिया है उनको तथा विशेष रूप से अमेठी के राजा रणञ्जय सिंह जी और ग्वालियर के विद्याव्यसनी श्री धारीवाल दम्पति के प्रति मैं हार्दिक कृतज्ञता प्रकट करता हूँ । इस ग्रन्थ का सम्पादन प्रयाग विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के रीडर पण्डित चण्डिकाप्रसाद शुक्ल ने किया है। सम्मेलन उनके प्रति आभार प्रकट करता है । आशा इस मुद्रित ग्रन्थ-सूची से संस्कृत के विद्वानों, छात्रों और शोधकर्त्ताओं को अध्ययन और अनुसंधान में सहायता मिलेगी । दिनांक : २१ जून, १९७६ ई० प्रभात मिश्र शास्त्री प्रधानमन्त्री हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग

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