Book Title: Sangha Kartvyadi Praja Samaja Kartavya Granth Author(s): Buddhisagar Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal View full book textPage 5
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ले. बुद्धिसागर. प्रस्तावना. अस्मत्कृत भजनसंग्रहनवमाभागमा सुदर्शनासुबोध प्रन्थ गुर्जर भाषामा छपायेल छे. ते संबंधी भजनसंग्रह नवमा भागमांनी प्रस्तावनामां कंइक लख्युं छे, तेनो संस्कृतभाषामा पद्यबंधरचना चि. १९७९ मां विजापुरमां चोमासामां सुधारा वधारा साथे करवामां आवी छे तेमां प्रसंगोपात्त केटलाक श्लोकोनो उमेरो करवामां आव्यो छे. गुजराती पद्योना भाषांतरनो पण संस्कृत श्लोको रचतां केटलेक स्थाने फेरफार करवामां आव्यो छे. संघकर्तव्यग्रन्थ, प्रजासमाजकर्तव्यग्रन्थ, शोकविनाशक अने चेटकबोध ए चार ग्रन्थो भजनसंग्रह दशमा भागमां गुजरातीमां रचेला छपान्या छे ते चार ग्रन्थोनो संस्कृत भाषामां पद्यमां अनुवाद करतां सुधारो वधारो करवामां आव्यो छे. वाचको गुजराती ग्रन्थो अने संस्कृत ग्रन्थो बन्नेने साथै राखीने वाचशे एटले स्वयमेव सुधारो वधारो समजी शकशे. संघकर्तव्य, प्रजासमाज कर्तव्य, शोकविनाशक, चेटकबोध, अने सुदर्शना सुबोध ए पांच ग्रन्थो विजापुरमा वि. सं. १९७९ ना चोमासामां रचवामां आव्या छे, तेमांना श्लोकोनुं अशुद्धि शुद्धिपत्रक आ साथे आपवामां आव्युं छे. श्री जिनेश्वर सर्वज्ञमहावीरप्रभु भाषित जैनधर्मना श्रुतज्ञानना अनेकनयोनी सापेक्षाओने ध्यानमा राखीने आ ग्रन्थो रच्या छे, छतां तेमां जिनेश्वरप्रभु महावीर देवनी आज्ञाथी जे कंइ विरुद्ध उत्सूत्र लखायुं होय तो तेनो सर्वसंघनी आगळ मिथ्या दुष्कृत दउछु सज्जनज्ञानीओ आ ग्रन्थो संबंधीमां भूलचूक संबंधी जे सूचनाओ जणावशे तेनो द्वितीयावृत्तिमां सुधारो aare करवामां आवशे. इत्येवं ॐ अँई महावीर शान्तिः ३ मु. प्रांतिज, फाल्गुन पूर्णिमा. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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