Book Title: Sangh Yatrana Dhaliya Author(s): Shilchandrasuri Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 7
________________ फेब्रुआरी-2005 समजाय छे (२५५-५८). तेने ९६० तोला चांदीथी मढावेलुं छे (२५९). तेमना आ धर्मकार्य परत्वे गाममां कोईक घसातुं बोलनारुं पण हशे, केमके क. २६० थी २६४ मां कविए दुर्जननी तथा निन्दा करनारनी कडक जबानमां खबर लई नाखी छे, वळी, आ मन्दिरमां आरीसा गोठवी तेने आरीसाभुवन जेवुं कराव्युं छे (२६७). ३८. सं. १९२७ना वै. शु. ६ बुधवारे शान्तिनाथ भगवानना बिम्बनो तेमणे गृह - ( मन्दिर - ) प्रवेश कराव्यो. (२६९). तेनुं सामैयुं सुरदास शेठनी पोळेथी चड्युं हतुं (२७५). ३९. १५मी ढालना प्रारंभे 'हवे सेठ....' एम बे पंक्तिनुं लखाण छे, ते वांचतां प्रस्तुत प्रत, ए कर्तानी नजर समक्ष लखायेली प्रत होय तेवो वहेम पडे छे. ४०. पंदरमी ढाळ वरघोडा जेटली ज लांबी थई छे. तेमां जलयात्राना वरघोडानुं हू-ब-हू वर्णन मळे छे, ते खूब उपयोगी थई पडे तेवुं छे. आ वरघोडामां नगरशेठ प्रेमाभाई वगेरेनी उपस्थिति छे (२८८-८९), तो वरघोडानी योजना संभाळनारानां नामो पण मळे छे (२८९-९०). आ वरघोडो पण समेतशिखर जुहारीने ज आगळ गयो छे (२८९). क. २९१ - ९३मां जे महाजनोनां नामो छे तेमां विद्यासा (शा) लानुं काम चलावनार सुबा रवचंदनुं पण नाम छे. ४१. वरघोडो हठीभाईनी वाडीए जाय छे, त्यां जलग्रहणविधि थई तेनुं पण सरस निरूपण आमां थयुं छे (२९७-९८). ४२. वरघोडो जल लई पाछो फरे छे अने बेहेचरभाईनां नवीन घर- महेलमां ते उतरे छे (२९९). ४३. ढाळ १६मां कं. ३०२मा पुनः गुंचवाडो ऊभो थाय छे. क. २६९ मां वै. शुद ६नी जिकर थई हती, ज्यारे आमां वै वद ६नी वात लखी छे. कर्ता सुद ने वदमां वारंवार अटवाया जणाय छे; अर्थात् शुदनुं वद के वदनुं शुद तेणे रभस वृत्तिमां चालवा दीधुं लागे छे. सं. १९२७, वै. वद ६, बुधवार, ३ घडी अने १७ पळ आ मुहूर्ते शान्तिनाथ प्रभुनी प्रतिष्ठा शेठे करी (३०२-३) ४४ प्रतिष्ठा प्रसंगे चोक्कस साधु महाराज कोण हता तेनुं नाम (के नामो) कर्ता नोंधता नथी. फक्त पोते राजनगरना, श्रीमाली ज्ञातिना, देवचंद पानाचंद छे, अने श्रीधरणेन्द्रसूरिजी (श्रीपूज्यपरम्परा ) ना राज्यमां आ रचना रच्यानुं जणावे छे (३१०). ४५. सत्तरमी कळशनी ढाळ छे. तेमां विजयसिंहसूरिए पोताना Jain Education International 27 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40